- डिवाइस का नाम ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ दिया गया है, जो आंसुओं और यूरिन के सैम्पल का विश्लेषण करती है
- सैम्पल में मौजूद बीटा-2 माइक्रोग्लोब्यूलिन प्रोटीन बीमारी की ओर इशारा करता है, डिवाइस में अगर सैम्पल का रंग बदलता है तो इस प्रोटीन की पुष्टि होती है
दैनिक भास्कर
Jun 25, 2020, 04:23 PM IST
आईआईटी गुवाहाटी ने ऐसी डिवाइस विकसित की है डायबिटिक रेटिनोपैथी होने पर शुरुआती स्टेज में ही अलर्ट करेगी। मरीज के आंसू या यूरिन की जांच के बाद डिवाइस बताएगी कि इंसान डायबिटीक रेटिनोपैथी से जूझ रहा है या नहीं। शोधकर्ताओं ने इसका नाम ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ दिया है। आईआईटी गुवाहाटी ने इस डिवाइस को श्री शंकरदेव नेत्रालय के साथ मिलकर तैयार किया है।
क्या होती है डायबिटिक रेटिनोपैथी
यह आंखों से जुड़ा रोग है, जो उन मरीजों में देखा जाता है जो लम्बे समय से डायबिटीज से जूझ रहे हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी की स्थिति में आंखों में मौजूद रेटिना की रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, नतीजा धुंधला दिखना, रंगों की पहचान करने में दिक्कत होना, रात में दिखाई न देना या एक ही चीज दो-दो दिखने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
ऐसे काम करती है डिवाइस
शोधकर्ताओं ने शरीर में मौजूद ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है तो जो मरीज में डायबिटिक रेटिनोपैथी का संकेत देता है। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने मरीजों के आंसू और यूरिन का सैम्पल लिया। डिवाइस से जांच के दौरान सैम्पल में बीटा-2 माइक्रोग्लोब्यूलिन नाम के प्रोटीन की पुष्टि हुई।
सेंटर फॉर नेनोटेक्नोलॉजी के हेड और शोधकर्ताओं डॉ. दीपांकर बंदोपाध्याय के मुताबिक, इंसान से लिए गए सैम्पल को डिवाइस में सेंसिंग एलिमेंट के सम्पर्क में लाया जाता है। इस दौरान अगर सैम्पल का रंग बदलता है तो ये साबित हो जाता है कि इसमें बीटा-2 माइक्रोग्लोब्यूलिन प्रोटीन है। यह माइक्रो-फ्लुइडिक एनालाइजर बेहतर और विश्वसनीय परिणाम देता है। यह ग्लूकोमीटर जैसी डिवाइस है जिसे कहीं भी ले जा सकते हैं।
डिवाइस का पेटेंट कराने की तैयारी शुरू
रिसर्च एसीएस जर्नल में प्रकाशित हो चुकी है। जल्द ही डिवाइस का पेटेंट कराने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। रिसर्च की फंडिंग मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने की है।
@IITGuwahati researchers develop point-of-care device for early and easy detection of #diabetic#retinopathypic.twitter.com/NBVVkV39Fc
— IIT Guwahati (@IITGuwahati) June 24, 2020