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गांधी सागर-राणा सागर पहली बार जून में 60-70% भरे, जुलाई में ही गेट खुलने की संभावना, ऐसा हुआ तो चंबल में फिर बाढ़ का खतरा

  • पिछले साल चंबल में आई बाढ़ से भिंड, मुरैना और श्योपुर में सैकड़ों गांव के लोग अपने घर छोड़ने को हुए थे मजबूर
  • बाढ़ से निपटने के टनल बनाने का प्रस्ताव अभी तक सिर्फ कागजों तक ही

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 04:35 AM IST

भिंड. चंबल नदी में पानी का फ्लो अधिक होने के कारण पिछले साल आई बाढ़ से श्योपुर, भिंड और मुरैना के लाेग अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाए हैं कि अब उनके सामने फिर वही खतरा मंडरा रहा है। ऐसा इसलिए क्याेंकि चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांध गांधी सागर और राणा प्रताप सागर में इस समय मानसून से पहले ही पर्याप्त पानी भरा हुआ है।
     ऐसे में मानसून की पहली या दूसरी बारिश में ही इन बांधों के लबालब होने की संभावना जताई जा रही है। यानी जाे पिछले साल इन बांधाें के गेट अगस्त के आखिरी या सिंतबर के पहले सप्ताह में खाेले गए थे, इस बार इन बांधाें के गेट जुलाई में ही खुल सकते हैं। ऐसा पहली बार है जब जून के महीने में मानसून से पहले गांधी सागर में 71 फीसदी और राणा प्रताप सागर में 61 प्रतिशत पानी है। जबकि पिछले साल जून में इन बांधाें में इस साल के मुकाबले में तीस से 35 प्रतिशत कम पानी भरा था। इतना ही नहीं इन दोनों बांधों में जितना पानी इस साल मानसून से पहले जून में हैं, उतना पानी पिछले साल जुलाई में था। इधर, इस बार माैसम विभाग ने अच्छी बारिश की संभावना जताई है। मालूम हो कि पिछले साल बाढ़ के बाद प्रशासनिक अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने इस तरह के हालात से निपटने के लिए स्थाई इंतजाम की बात कही थी लेकिन यह दावे कागजों से बाहर नहीं निकल पाए हैं। हाड़ौती और मालवा में बारिश अधिक होती तो उसके प्रतिफल चंबल की बाढ़ को रोकने के लिए व्यवस्थित नजर नहीं आ रहा है।

श्योपुर… 10 गांव डूब में आ गए थे, स्कूलाें में गुजारनी पड़ी थी रातें 
श्योपुर में चंबल नदी के बीच में बसे कीर की सांड, सामरसा, मानपुर, जैनी, ढोढर, श्यामपुर के आस-पास के करीब 10 गांवाें में पिछले साल चंबल में आई बाढ़ के कारण डूब गए थे। इससे फसलें भी तबाह हो गई थी। लोगों के घर तक नहीं बचे थे। उन्हें स्कूल व आंगनबाड़ी में रातें गुजरनी पड़ी थी। इसके साथ ही कोटा, सवाई-माधौपुर, बारां के रास्ते भी नदियों में आई बाढ़ के कारण बंद हो गए थे और श्योपुर का कनेक्शन राजस्थान से कट गया था। 
मुरैना… बीहड़ के टीलों पर झाेपड़ियां बनाकर जीवन गुजार रहे बाढ़ प्रभावित
जिला मुख्यालय से 15 किमी चंबल नदी के किनारे बसे नदुआपुरा गांव के बाढ़ प्रभावित लोगों को 9 माह बाद भी आशियाने नहीं मिले हैं। मल्लाह समुदाय के 50 परिवार बीहड़ के टीले पर झाेंपड़ियां बनाकर जीवन गुजार रहे हैं। बाढ़ प्रभावित रामबरन मल्लाह और आदिराम मल्लाह ने बताया कि पिछले साल (सितम्बर) चंबल में आई बाढ़ के कारण उनके घर नष्ट हो गए और गांव के चारों ओर रेत के टीले बन गए।

स्थाई इंतजाम पर गौर नहीं बारिश से निपटने सिस्टम जरूर अपडेट किया

दावा- गांधी सागर डैम के कैचमेंट क्षेत्र में होने वाली बारिश का आंकड़ा 4-4 घंटे बाद आता था अब अतिवर्षा की जानकारी 1-1 घंटे में ऑनलाइन मिलेगी।
फायदा- अतिवर्षा की जानकारी 1-1 घंटे में मिलने पर डैम खाली करने पर काम शुरू हाेगा ताकि कैचमेंट का पानी आने पर उसे राेक सकें। डैम का लेवल 1309 की बजाय 1304 पर रखेंगे ताकि अतिवर्षा के पानी को डैम में ले सके।
अवनीश कुलकर्णी, अधीक्षण यंत्री गांधी सागर डैम

1.5 लाख क्यूसेक पानी निकालने टनल का प्रस्ताव

2019 में चंबल में बाढ़ के हालातों के अध्ययन के बाद विश्व बैंक की टीम ने पिछले दिनों गांधी सागर डैम का दौरा किया। तकनीकी एक्सपर्ट की सलाह पर इस पर टनल का निर्माण कराया जाएगा।
1.5 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो सकेगा इमरजेंसी होने पर।
200 कराेड़ का टनल निर्माण प्रोजेक्ट केंद्र के पास वित्तीय स्वीकृति के लिए भेजा है।

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