- चतुर्थी पर प्रकट हुए थे गणेशजी, इसीलिए इस तिथि पर उनके लिए व्रत और विशेष पूजा करने की है परंपरा
दैनिक भास्कर
Jun 23, 2020, 06:23 PM IST
24 जून को बुधवार और चतुर्थी का शुभ योग बन रहा है। अभी आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र भी चल रहे हैं। ऐसे में पूजा-पाठ की दृष्टि से ये बहुत शुभ मुहूर्त रहेगा। चतुर्थी तिथि और बुधवार के स्वामी गणेशजी ही माने गए हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चतुर्थी व्रत में गणेशजी के साथ ही शिवजी और माता पार्वती की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं के लिए विशेष साधना की जाती है।
गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं। इनकी पूजा सभी शुभ कामों की शुरुआत में सबसे पहले की जाती है। भगवान गणपति की सुख-समृद्धि के दाता माने गए हैं। इनकी प्रिय तिथि चतुर्थी पर जो भक्त व्रत और पूजन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
ऐसे कर सकते हैं गणेशजी की सरल पूजा
स्नान के बाद गणेश पूजन की व्यवस्था करें। भगवान गणेश, शिव-पार्वती की प्रतिमाओं को स्नान कराएं, वस्त्र अर्पित करें। सिंदूर, चावल, दूर्वा, इत्र, फल और फूल अर्पित करें। शिवजी और गणेशजी को जनेऊ चढ़ाएं। लड्डूओं का भोग लगाएं। कर्पूर और दीपक जलाकर आरती करें। सुगंधित इत्र चढ़ाते हुए इस मंत्र का जाप करें-
चंपकाशी वकुलं मालती मोगरादिभि:।
वासितं स्निग्ध तासेतु तैलं चारु प्रगृहयताम्।।
मंत्र बोलें – महागणपतये नाना सुगंधि तैलान् समर्पयामि।
पूजा में गणेशजी के मंत्र वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा का जाप करें।
अंत में पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें। अन्य भक्तों को प्रसाद वितरीत करें, जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।