- अब कहा- जिनके पास घर में आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं, वह कोरोना केयर सेंटर आएं
दैनिक भास्कर
Jun 21, 2020, 04:37 AM IST
नई दिल्ली. दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 53 हजार पार हाे चुकी है। इस बीच, कोरोना मरीजों के लिए 5 दिन का सरकारी क्वारेंटाइन जरूरी कर देने पर विवाद बढ़ने, सरकार के काेर्ट पहुंचते ही उपराज्यपाल अनिल बैजल दबाव में आ गए। उन्होंने 24 घंटे के अंदर ही शनिवार शाम अपने इस आदेश को वापस ले लिया। बैजल ने ट्वीट किया, अब सरकारी क्वारेंटाइन में सिर्फ उन्हीं मरीजों को रहना होगा, जिनके पास घर पर आइसोलेशन में रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। दूसरी तरफ, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि होम आइसोलेशन को लेकर एलजी की जो भी आशंकाएं थीं वो राज्य आपदा प्रबंधन की बैठक में सुलझा ली गईं।
उपराज्यपाल के आदेश पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि दिल्ली में ज्यादातर मरीज हल्के लक्षणों वाले, कैसे करेंगे व्यवस्था
इससे पहले, सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया, आईसीएमआर ने कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मरीजों को देशभर में होम क्वारेंटाइन की मंजूरी दी है। ऐसे में बाकी राज्यों के मुकाबले दिल्ली के लिए अलग नियम क्यों बनाया जा रहा है? केजरीवाल ने कहा कि ज्यादातर मरीज बगैर लक्षणों के या हल्के लक्षणाें वाले सामने आ रहे हैं। उनके लिए क्वारेंटाइन की व्यवस्था कैसे कर पाएंगे। डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है, इनकी व्यवस्था कैसे होगी। केजरीवाल ने रेलवे के आइसोलेशन कोच के बारे में कहा कि बढ़ती हुई गर्मी में इनमें कोई कैसे रहेगा? इसके बाद दिल्ली सरकार ने एलजी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।
केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद बदला राज्यपाल का फैसला
केजरीवाल से पहले उनकी आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल के फैसले को तानाशाही और मनमानी वाला बताया था। पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि एलजी के इस फैसले से दिल्ली में त्राही-त्राही मच गई है। इस मसले पर विरोध के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि उपराज्यपाल ने यह फैसला उन लोगों के बारे में सोच कर लिया होगा, जिनके पास घर में पर्याप्त जगह नहीं है। उप-राज्यपाल इस बारे में शाम को बयान दे सकते हैं। उनके इस बयान के बाद राज्यपाल ने फैसला पलट दिया।