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वकील ने कहा- आरोप साबित हुए तो सलमान, करन समेत आठों को हो सकती है 10 साल की जेल

  • मुजफ्फरपुर, बिहार में आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं के तहत केस
  • वकील का आरोप- ये लोग इरादतन सुशांत की फिल्में रिलीज नहीं होने देते थे

दैनिक भास्कर

Jun 17, 2020, 05:51 PM IST

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में बिहार के मुजफ्फरपुर में 8 बॉलीवुड सेलेब्स के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। वकील सुधीर कुमार ओझा ने यह केस करन जौहर, आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियाडवाला, सलमान खान, संजय लीला भंसाली, भूषण कुमार, एकता कपूर और दिनेश विजान के खिलाफ दर्ज कराया है। ओझा ने जो आरोप लगाए हैं, अगर वे साबित हो जाते हैं तो सभी को 10 साल तक की जेल हो सकती है। 

ओझा का आरोप है कि ये लोग इरादतन सुशांत की फिल्में रिलीज नहीं होने देते थे। फिल्म से जुड़े अवॉर्ड फंक्शन और दूसरे कार्यक्रमों में सुशांत को नहीं बुलाते थे। उसे साइडलाइन करके रखते थे, जिससे हताश और निराश होकर उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया। 

आत्महत्या के लिए उकसाने का केस

दैनिक भास्कर से बातचीत में ओझा ने दावा किया कि अगर आरोप सही साबित होते हैं तो सभी आरोपियों को 10 साल तक की कैद हो सकती है। उन्होंने कहा, “आईपीसी की धारा 306 और 109 के तहत ‘केस कंप्लेन’ यानी परिवाद पत्र दाखिल हुआ है। ये धाराएं आत्महत्या करने के लिए उकसाने की हैं।”

सुधीर कुमार ओझा ने करन, आदित्य, साजिद, सलमान, भंसाली, भूषण, एकता और दिनेश सभी को मुंबई, महाराष्ट्र का निवासी बताया है। 

ओझा आगे कहते हैं, “सुशांत से 7- 8 फिल्में हाथ से छीनी गई थीं। ये फिल्में कौन सी थीं, वह तो मैं देख कर बताऊंगा। लेकिन ये सुशांत की जगह रणवीर सिंह और रणबीर कपूर को दे दी गई थीं। इनमें एक फिल्म ‘पानी’ शेखर कपूर के साथ थी। उनकी फिल्मों की रिलीज तक में अड़ंगा डाला जाता था।”

सुधीर कुमार ओझा ने केस कंप्लेंट में गवाह की लिस्ट में अभिनेत्री कंगना रनोट का नाम दिया है।
ओझा ने कंप्लेंट में यह दावा किया है कि सुशांत सिंह राजपूत को कई महीनों तक टॉर्चर किया गया था।

मीडिया में आई खबरों के आधार पर केस

वकील की मानें तो उन्होंने ये सभी आरोप मीडिया में आई खबरों को सबूत मानकर लगाए हैं। इसके अलावा मुंबई से भी कई लोगों ने मैसेज के जरिए उन्हें जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “इन सबूतों के आधार पर स्पष्ट है कि सुशांत के साथ अन्याय हो रहा था। ये सब साक्ष्य के तौर पर तब से अदालत में मान्य हैं, जब से आईटी एक्ट लागू हुआ है।”

वे आगे कहते हैं, “अखबार की खबर पढ़कर हाई कोर्ट संज्ञान ले सकती है। लेती भी है। पहले नहीं था, मगर अब मोबाइल और टीवी के ऑडियो और वीडियो सबूत के तौर पर मान्य होते हैं। ऑडियो-वीडियो की जांच के लिए हैदराबाद में सेंटर भी बन चुका है। वहां अगर उन्हें सही पाया जाता है तो इन्हें सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं।”

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