- पीएमआई के 50 के स्तर को ग्रोथ का संकेत माना जाता है
- अप्रैल महीने से पहले 32 महीने तक लगातार वृद्धि हुई थी
दैनिक भास्कर
Jun 01, 2020, 01:35 PM IST
मुंबई. आईएचएस मार्किट के आंकड़ों के मुताबिक निक्केई मैन्युफैक्चरिंग पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (Manufacturing Purchasing Managers’ Index) पिछले महीने अप्रैल के 27.4 के रिकॉर्ड निचले स्तर से बढ़कर 30.8 हो गया। यह अभी भी 50 के मार्क से काफी नीचे है। देश में उत्पादकों के पास नए ऑर्डर में लगातार कमी के साथ मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियों में मई महीने में भी गिरावट का सिलसिला जारी है।
अप्रैल महीने में भी रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हुई थी
आईएचएस मार्किट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले, अप्रैल महीने में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में रिकार्ड गिरावट दर्ज की गयी थी। मई के आंकड़ों से पता चलता है कि यह देश के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में एक और बड़ी गिरावट का संकेत है। अप्रैल महीने में सूचकांक में गिरावट दर्ज की गयी थी जबकि इससे पहले लगातार 32 महीने तक इसमें वृद्धि हुई थी। पीएमआई के अनुसार अगर सूचकांक 50 से ऊपर है, वह विस्तार को बताता है जबकि उससे नीचे गिरावट का संकेत देता है।
अप्रैल में व्यापार ठप होने से मई में पीएमआई पर दिखा असर
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री एलिट केर ने कहा कि पीएमआई के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि मई में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन में और गिरावट आई है। इसके पीछे वजह यह है कि अप्रैल में समूचे व्यापार को बंद कर दिए जाने की वजह से व्यापारिक गतिविधियाँ ठप रहीं। हालांकि स्थितियां थोड़ी सुधरी परंतु नए ऑर्डर और आउटपुट को ट्रैक करने वाले सब-इंडेक्स ने चारों तरफ गिरावट ही देखी। इससे पता चला कि साल 2005 के बाद नौकरियों में सबसे तेज छंटनी का कारण बनी।
कंपनियों ने तेजी से कर्मचारियों की संख्या कम की
दोनों इनपुट और उत्पादन की कीमतों में महीने के लिए गिरावट के बावजूद मांग नियंत्रण में रही जो ओवरआल मुद्रास्फीति में सहजता का संकेत है और जो केंद्रीय बैंक को आसान नीति को बनाने के लिए मौका देगा। सर्वे के अनुसार अप्रैल में रिकॉर्ड गिरावट के बाद कमजोर मांग के कारण उत्पादन नीचे रहा। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों ने तेजी से कर्मचारियों की संख्या कम की है। पिछले 15 साल से जुटाए जा रहे आंकड़े के दौरान पहली बार इतनी संख्या में कर्मचारियों की संख्या में कमी देखी गयी है।
कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा
केर ने कहा कि मई में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में और गिरावट यह बताती है कि संकट से उबरने में कंपनियों को चुनौतियों को सामना करना पड़ सकता है। मांग कमजोर बनी हुई है जबकि कोरोना वायरस महामारी को लेकर अनिश्चितता अब भी बरकरार है। विदेशों से नये कारोबार में मई में और गिरावट आयी। सर्वे के अनुसार, कोविड-19 को थामने के लिये जो वैश्विक उपाय किये जा रहे हैं, उससे निर्यात प्रभावित हुआ है। निर्माताओं को इस उम्मीद से भरोसा बना है कि कोरोना वायरस संबंधित सभी पाबंदिया हटने से अर्थव्यवस्था वृद्धि के रास्ते पर लौटेगी।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 1990 के दशक के मध्य के बाद पहली बार इस तिमाही में गिरेगी। रॉयटर्स के सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछली तिमाही में 3.1 प्रतिशत की उछाल के बाद पिछले 8 सालों में यह अपनी सबसे कमजोर वार्षिक गति से आगे बढ़ी।