
- एक महिला के पुत्र की मृत्यु हो गई, वह बुद्ध के पास पहुंची और कहा कि तथागत मेरा एक ही है, यही मेरे जीने का सहारा है, कृपया मेरे बेटे को फिर से जीवित कर दो
दैनिक भास्कर
May 07, 2020, 09:24 AM IST
गुरुवार, 7 मई को बुद्ध जयंती है। भगवान बुद्ध के जीवन के कई ऐसे प्रसंग है, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र छिपे हैं। इन कथाओं के सार को अपनाने से हमारी कई परेशानियां खत्म हो सकती हैं। यहां जानिए जीवन और मृत्यु से जुड़ा एक प्रसंग…
प्रचलति प्रसंग के अनुसार बुद्ध अलग-अलग गांवों में भ्रमण करते रहते थे और लोगों को उपदेश देते थे। इसी दौरान एक दिन उनके पास एक महिला पहुंची। उसे पुत्र की मृत्यु हो गई थी। उसका पति भी पहले ही मर चुका था। संतान के मरने पर वह पागल सी हो गई और अपने मृत बच्चे को लेकर पहुंची थी।
महिला रो रही थी, उसने कहा कि तथागत ये मेरा बेटा है, यही मेरे जीवन का एकमात्र आधार है, अगर ये न रहा तो मेरा जीवन व्यर्थ है। कृपा करें, इसे किसी तरह फिर से जीवित कर दें। आप तो कुछ भी कर सकते हैं, मुझ पर दया करें।
बुद्ध ने कहा कि ठीक है। मैं तुम्हारे बेटे को फिर से जीवित कर दूंगा, लेकिन पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा। तुम गांव के किसी ऐसे घर से मुट्ठी भर अनाज ले आओ, जहां कभी भी किसी की मृत्यु न हुई हो। पुत्र के जीवित होने की बात सुनकर महिला खुश हो गई, उसने सोचा कि ये काम तो छोटा सा है। मैं अभी ऐसा घर खोज लेती हूं। वह बेटे का शव बुद्ध के सामने छोड़कर गांव में निकल गई।
गांव के एक-एक घर जाकर कहने लगी कि अगर तुम्हारे घर में किसी की मृत्यु न हुई हो तो मुझे एक मुट्ठी अनाज दे दो। सुबह से शाम हो गई, लेकिन उसे गांव में ऐसा एक भी घर नहीं मिला, जहां कभी किसी की मृत्यु न हुई हो।
महिला को ये समझ आ गया कि मृत्यु तो अटल है और इससे कोई बच नहीं सकता है। एक दिन सभी को मरना ही है। वह तुरंत ही गौतम बुद्ध के पास लौट आई। उसने बुद्ध से कहा कि आप मेरे बेटे को जीवित न करें, लेकिन मुझे जीवन और मृत्यु का रहस्य समझा दें।
बुद्ध ने कहा कि मैंने तुम्हें घर-घर इसीलिए भेजा था, ताकि तुम्हें मृत्यु की सच्चाई मालूम हो सके। जिसने जन्म लिया है, उसे एक दिन अवश्य मरना ही है। मृत्यु ही इस जीवन का स्वभाव है। महिला को बुद्ध की बातें समझ आ गईँ और उसने बुद्ध से दीक्षा ली। इसके बाद वह भी ध्यान की राह पर चल पड़ी और उसके जीवन में शांति आ गई।