- गुलाम रसूल पढ़े-लिखे नहीं थे बावजूद इसके उन्होंने अपनी यात्रा की पूरी कहानी और अनुभव को एक किताब की शक्ल दी, जिसका नाम था ‘सर्वेंट ऑफ साहिब्स’
- गुलाम एक लम्बे समय तक ब्रिटिश एक्सप्लोरर सर फ्रांसिस यंगहसबैंड के साथ रहे और कई भाषाओं काे सीखा
दैनिक भास्कर
Jun 16, 2020, 06:05 PM IST
लद्दाख की गालवन वैली में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सोमवार रात हिंसक झड़प हुई। भारत के एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गए। गालवन वैली का नाम लद्दाख के रहने वाले गुलाम रसूल गालवन के नाम पर रखा गया था। गुलाम ने 1899 में लेह से ट्रैकिंग शुरू की थी और लद्दाख के कई भौगोलिक क्षेत्रों की खोज की। इसमें गालवन वैली और गालवन नदी भी शामिल थी। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जब किसी नदी का एक चरवाहे के नाम पर रखा गया।
तस्वीरों में गुलाम रसूल गालवन और नदी-घाटी की खोज की कहानी –