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अभी से लेकर 2050 तक ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है : ब्रिटिश पेट्रोलियम

  • कोरोनावायरस महामारी के बाद सरकारें कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश तेज करेंगी, इसलिए घटेगी तेल की कीमत
  • ब्रिटिश कंपनी ने कहा, तेल में गिरावट के कारण वह अपनी संपत्तियों की कीमत में 13-17.5 अरब डॉलर कमी करेगी

दैनिक भास्कर

Jun 15, 2020, 07:27 PM IST

नई दिल्ली. ब्रिटेन की पेट्र्रोलियम कंपनी ब्रिटश पेट्र्रोलियम (बीपी) ने अनुमान जताया है कि आने वाले कई दशकों में तेल की कीमत कम रहेगी। कंपनी ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी के बाद दुनियाभर की सरकारें कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश तेज करेंगी, इसलिए तेल की कीमत कम रहेगी। कंपनी ने तेल मूल्य के अनुमान में कटौती की है और कहा है कि अभी से लेकर 2050 तक ब्रेंट क्रूड की कीमत औसतन 55 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है।

संपत्तियों की कीमत 17.5 अरब डॉलर तक घटाएगी बीपी

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने कहा कि तेल मूल्य में गिरावट के अनुमान के कारण वह अपनी संपत्तियों के मूल्य को 13-17.5 अरब डॉलर घटाएगी। बीपी ने कहा कि उसे छोटी, तेज और कम लागत वाली कंपनी बनना होगा। हाल में दुनियाभर में तेल की कीमत में भारी गिरावट देखे जाने के बाद पिछले सप्ताह कंपनी ने 10,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के फैसले की घोषणा की थी।

दुनियाभर में लॉकडाउन के कारण घट गई है तेल की मांग

कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए दुनियाभर की सरकारों ने अपने नागरिकों को घर में रहने और यात्रा नहीं करने की सलाह दी है। इससे  दुनियाभर में तेल की मांग घट गई है। इसके कारण पिछले दिनों तेल की कीमत घटकर 20 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई थी, जो इस साल की शुरुआत में दर्ज की गई करीब 66 डॉलर के मूल्य के मुकाबले एक तिहाई से भी कम है।

हाल में तेल कंपनियों को डिलीवरी लेने के लिए खरीदारों को पैसे भी देने पड़े थे

एक समय तो ऐसा भी आया जब तेल रखने के लिए भंडारण सुविधा कम पड़ गई और कंपनियों को तेल खरीदारों को डिलीवरी लेने के लिए पैसे भी देने पड़े। इसके बाद से अब तक कीमत में कुछ सुधार आया है। फिलहाल क्रूड ऑयल करीब 37 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ट्रेड कर रहा है।

पर्यावरण बचाना है तो तेल का उपयोग घटाना होगा

बीबीसी के पर्यावरण विश्लेषक रोजर हैराबिन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ कई साल से चेतावनी दे रहे हैं कि यदि पर्यावरण को बचाना है, तो कंपनियां जितने तेल की खोज कर चुकी हैं, उतने का उपयोग नहीं किया जा सकता। हमें देखना होगा कि बीपी के नजरिए के बारे में अन्य कंपनियों का क्या कहना है।

बीपी कुछ तेल फील्ड के विकास की योजना को ठंडे बस्ते में डाल सकती है

ब्रिटिश कंपनी के ताजा बयान का मतलब यह है कि कंपनी जितने तेल को जमीन से निकालने की योजना पर काम कर रही है, उसकी कीमत पहले जताए गए अनुमान से कम है। ऐसी संभावना है कि कंपनी कुछ तेल फील्ड का विकास भी न करे। अब देखना यह है कि क्या अन्य वैश्विक तेल कंपनियां भी बीपी की राह पर चलेंगी।

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