- दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में होने हैं गवर्निंग बॉडी के चुनाव
- संगठन का कहना है कि लोकतांत्रिक निर्वाचन की प्रक्रिया में ऑन लाइन वोटिंग का प्रावधान गलत
दैनिक भास्कर
Jun 15, 2020, 04:00 AM IST
नई दिल्ली. दिल्ली यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले 28 कॉलेजों में होने वाले गवर्निंग बॉडी के चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग का विरोध किया जा रहा है। यह विरोध फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस की ओर से किया गया है। संगठन का कहना है कि लोकतांत्रिक निर्वाचन की प्रक्रिया में ऑन लाइन वोटिंग का प्रावधान गलत है क्योंकि मतदान का अधिकार आमतौर पर शारीरिक उपस्थिति के द्वारा होता है।
ऑनलाइन चुनाव में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं रहती। यह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। पोस्टल मतदान की व्यवस्था सिर्फ देश के लोकसभा, विधानसभा के चुनाव में निर्वाचन में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए होती है।
फोरम के चेयरमैन व दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफ़ेसर हंसराज ‘’सुमन’’ ने बताया है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में एक लम्बे गतिरोध/विलंब के बाद गवर्निंग बॉडी (प्रबंध समिति ) के गठन की प्रक्रिया के मध्य यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्राचार्यों को एक निर्देशिका भेज कर ऑनलाइन मतदान की प्रक्रिया को अपनाने को कहा है, जो यूनिवर्सिटी आर्डिनेंस- 18 के क्लॉज 3 तथा 4 का उल्लंघन है।
उनका कहना है कि ऑनलाइन मतदान की प्रक्रिया के दौरान गवर्निंग बॉडी के सदस्यों पर अनुचित दबाव डालकर उनकी स्वतंत्र तथा निर्भीक मतदान की क्षमता को बाधित करने की भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में विधि सम्मत तथा स्थापित परंपराओं के अनुसार ही चेयरमैन तथा कोषाध्यक्ष का चुनाव होना चाहिए।
किसी एक राजनीतिक शिक्षक समूह के दबाव में स्थापित मानकों को दरकिनार कर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता से खिलवाड़ की नापाक कोशिश को विश्वविद्यालय का जनतांत्रिक समाज कतई स्वीकार नहीं करेगा और आंदोलन की राह चुनने को बाध्य होगा।