- अर्जुन के सामने श्रीकृष्ण कर रहे थे कर्ण की दानवीरता की प्रशंसा, ये बात अर्जुन को अच्छी नहीं लगी
दैनिक भास्कर
May 27, 2020, 10:58 AM IST
महाभारत में कौरव और पांडवों के बीच धर्म और अधर्म का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में कई महारथियों ने भाग लिया था। इनमें से एक दुर्योधन का मित्र कर्ण भी था। कर्ण वैसे तो अधर्म की ओर से युद्ध कर रहा था, लेकिन उसकी दानवीरता उसे सबसे बड़ा दानवीर बना दिया। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा…
भगवान श्रीकृष्ण भी कर्ण को सबसे बड़ा दानी मानते थे। जब युद्ध में अर्जुन के प्रहारों से कर्ण घायल हो गया था। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि कर्ण को उसकी वीरता और दानवीरता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। ये बात अर्जुन को अच्छी नहीं लगी। अर्जुन ने कहा कि वो सबसे बड़ा दानवीर कैसे हो सकता है?
श्रीकृष्ण अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ब्राह्मण वेष में कर्ण के पास पहुंचे। कर्ण को प्रणाम किया। कर्ण ने उनसे वहां आने का कारण पूछा तो ब्राह्मण ने कहा कि मैं आप से कुछ दान मांगने आया हूं। आप की हालत देखकर अब कुछ नहीं मांगना चाहता, क्योंकि आप इस हालत में क्या दे सकेंगे? आप अब मृत्यु के करीब पहुंच चुके हैं।
ये सुनकर कर्ण ने वहीं से एक पत्थर उठाया और उससे अपना सोने का दांत तोड़कर ब्राह्मण को दान दे दिया। इस दानवीरता से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण उसके सामने अपने वास्तविक रूप में आ गए और कर्ण को वरदान मांगने को कहा। कर्ण ने श्रीकृष्ण से कहा कि आप ही मेरा अंतिम संस्कार करें और मेरे वर्ग के लोगों का कल्याण करें। कर्ण की मृत्यु होने के बाद श्रीकृष्ण ने उसका अंतिम संस्कार किया।