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सुबह पूर्व और शाम को पश्चिम दिशा में मुंह करके करना चाहिए गायत्री मंत्र का जाप

  • अथर्ववेद के अनुसार मां गायत्री की पूजा से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति और धन मिलता है

दैनिक भास्कर

May 30, 2020, 09:22 PM IST

हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार गायत्री जयंती पर्व 1 जून, सोमवार को है। हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। यानी सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। माता गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है।

  • अथर्ववेद में बताया गया है कि मां गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस मिलता है। विधि और नियमों से की गई गायत्री उपासना रक्षा कवच बनाती है। जिससे परेशानियों के समय उसकी रक्षा होती है। देवी गायत्री की उपासना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • हिंदू धर्म में मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है। जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्मांड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है। इसीलिए गायत्री उपासना जरूर करनी चाहिए।

गायत्री मंत्र का जाप करते समय इन बातों का ध्यान रखें
1. गायत्री मंत्र जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
2. गायत्री मंत्र जाप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ होता है, किंतु यह शाम को भी किया जा सकता है।
3. गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण पवित्र रखें, किंतु सेहत ठीक न होने या अन्य किसी वजह से स्नान करना संभव न हो तो किसी गीले वस्त्रों से शरीर पोंछ लें।
4. साफ और सूती वस्त्र पहनें।
5. कुश या चटाई का आसन बिछाएं। पशु की खाल का आसन निषेध है।
6. तुलसी या चन्दन की माला का उपयोग करें।
7. ब्रह्ममुहूर्त में यानी सुबह होने के लगभग 2 घंटे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जाप करें। शाम के समय सूर्यास्त के घंटे भर के अंदर जाप पूरे करें। शाम को पश्चिम दिशा में मुख रखें।
8. इस मंत्र का मानसिक जाप किसी भी समय किया जा सकता है।
9. शौच या किसी आकस्मिक काम के कारण जाप में बाधा आने पर हाथ-पैर धोकर फिर से जाप करें। बाकी मंत्र जाप की संख्या को थोड़ी-थोड़ी पूरी करें। साथ ही एक से अधिक माला कर जाप बाधा दोष का शमन करें।
10. गायत्री मंत्र जाप करने वाले का खान-पान शुद्ध होना चाहिए। किंतु जिन लोगों का सात्विक खान-पान नहीं है, वह भी गायत्री मंत्र जाप कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के असर से ऐसा व्यक्ति भी शुद्ध और सद्गुणी बन जाता है।

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