May 3, 2024 : 8:11 AM
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महिलाओं के लिए खबर: रोजाना मीठे पेय पदार्थ लेने वाली महिलाओं में कैंसर होने का खतरा दोगुना, 24 साल चली रिसर्च में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया दावा

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16 घंटे पहले

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अगर आपको रोजाना मीठे पेय यानी शुगर ड्रिंक्स लेने की आदत है तो अलर्ट हो जाएं। इनसे खासतौर पर युवा महिलाओं में कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा दोगुना तक रहता है। ऐसी ड्रिंक्स से 50 साल की उम्र से पहले कैंसर हो सकता है। यह दावा वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ स्कूल मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है।

जितनी शुगर ड्रिंक्स, खतरा उतना ज्यादाशोधकर्ताओं के मुताबिक, 13 से 18 साल की उम्र वाली महिलाओं में शुगर ड्रिंक लेने पर कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा 32 फीसदी तक रहता है। वो जितना ज्यादा ऐसे पेय पदार्थों का सेवन करती हैं, कैंसर का खतरा उतना ज्यादा बढ़ता है। इसके मामले आर्थिक रूप से मजबूत देशों में अधिक देखने को मिले हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, जिन मीठे पेय पदार्थों से कैंसर होने का खतरा है उनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर भी शामिल है। इनकी जगह पर कॉफी, लो-फैट मिल्क, होल मिल्क अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।

1 लाख से अधिक महिलाओं पर हुई रिसर्चजर्नल गट लिंक्स में पब्लिश रिसर्च कहती है, मीठे पेय पदार्थ और कैंसर के बीच कनेक्शन को समझने के लिए 95,464 महिलाओं की सेहत से जुड़ा डाटा इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा 1,16,430 महिलाओं पर स्टडी की गई। 1989 में रजिस्ट्रेशन के समय सभी महिलाओं की उम्र 25 से 42 साल के बीच थी।

इनमें से 41,272 महिलाओं का 13 से 18 साल की उम्र में कैसा खानपान था इसकी जानकारी ली गई। 1991 से रिसर्च शुरू हुई। महिलाएं क्या खाती हैं और क्या पीती हैं, हर 4 साल में इससे जुड़े सवाल-जवाब किए गए। 1998 में उनके सेहत का हाल और आदतों के बारे में जाना गया।

24 साल में कैंसर के 109 मामलेशोधकर्ताओं के मुताबिक, 24 साल तक चली रिसर्च में 109 महिलाओं में 50 साल की उम्र से पहले कैंसर हुआ। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यिन काओ का कहना है, शुगर ड्रिंक्स की जगह लो-फैट मिल्क लिया जा सकता है। इससे कैंसर का खतरा घट जाता है।

क्या है कोलोरेक्टल कैंसरकोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। ये कैंसर बड़ी आंत (कोलोन) या रेक्टम (गैस्ट्रो इंटस्टाइनल का अंतिम भाग) में होता है। इस कैंसर में पेट से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कब्ज की समस्या होती है।

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