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Hindi NewsNationalPriyanka Engaged In Dissatisfaction, Now G 23 Members Are Getting Preference In Party
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नई दिल्ली4 घंटे पहलेलेखक: मुकेश काैशिक
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वरिष्ठों को एकजुट करने चलाए गए अभियान में मिले कामयाबी के संकेत – प्रियंका गांधी (फाइल फोटो)
कोविड टास्कफोर्स समेत कई कमेटियों में नाराज लोगों को दी जा रही है अहम भूमिका
विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस अपने घर की कलह को काबू करने में जुटी है। इस महीने कांग्रेस कार्य समिति और पार्टी के संसदीय दल की तीन बैठकें हो चुकी हैं और पार्टी ने एकजुट चेहरा पेश किया है। इतना ही नहीं, पार्टी में सुधारों की मांग का झंडा उठाकर चल रहे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद तक को भी साध लिया गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार नाराज कांग्रेसियों को मनाने का जिम्मा पार्टी की यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने फरवरी से लिया था और दो महीने के भीतर उन्होंने अपने अभियान में कामयाबी के संकेत दे दिए। पार्टी ने कोविड टास्कफोर्स गठित की तो उसमें प्रियंका वाड्रा के साथ सबसे पहला नाम जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद का था। इसमें असंतुष्ट कहलाने वाले जी-23 के मुकुल वासनिक काे भी शामिल किया गया।
दूसरी कमेटी विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गठित की गई है। इसमें मनीष तिवारी को शामिल किया गया। अन्य असंतुष्ट नेताओं को भी मनाने के प्रयास जारी हैं। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी नेजी-23 के वरिष्ठ सदस्य विवेक तन्खा की खुलकर तारीफ की। तन्खा कोविड महामारी से निपटने के लिए अग्रणी भूमिका में हैं।
पार्टी के युवा नेता बीवी श्रीनिवाास को भी कोविड टास्कफोर्स में रखा गया है। आगामी तीन राज्यों के चुनाव को लेकर भी कई महत्वपूर्ण कमेटियों में शशि थरूर, कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठों को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
2022 तक साेनिया ही रहेंगी अध्यक्ष, गुरदीप सिंह सप्पल कर रहे हैं प्रियंका की मदद
पार्टी की कलह को शांत करने में कामयाबी मिलने से प्रियंका गांधी की भूमिका का विस्तार हो रहा है। पहले उन्होंने खुद को उत्तर प्रदेश तक सीमित रखने पर ध्यान दिया था। बीते विधानसभा चुनाव में उन्होंने असम और केरल तक प्रचार किया। उत्तर प्रदेश में वह पूर्वी क्षेत्र की प्रभारी नियुक्त की गई थीं लेकिन पश्चिमी क्षेत्र के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद से पूरे प्रदेश का जिम्मा प्रियंका के कंधों पर ही है।
पार्टी में इस बात पर लगभग सहमति बन चुकी है कि यूपी, पंजाब और उत्तराखंड के 2022 के विधानसभा चुनाव तक सोनिया गांधी ही पूर्ण कालिक अध्यक्ष की भूमिका में रहेंगी। 10 मई की कांग्रेस कार्यसमिति में चुनाव टालने का प्रस्ताव औपचारिक रूप से पारित हो गया। इस बैठक में राहुल गांधी मौजूद नहीं थे।
पार्टी नेताओं को एकजुट करने के अभियान में प्रियंका गांधी की मदद राज्यसभा टीवी के पूर्व प्रमुख गुरदीप सिंह सप्पल कर रहे हैं। उन्हें भी प्रिंयका गांधी ने कोविड टास्कफोर्स में अपने साथ स्थान दिया है।
आजाद काे राज्यसभा भेजने पर सहमति बनी
गुलाम नबी आजाद
पार्टी अध्यक्ष ने नाराज नेताओं को मनाने का काम प्रियंका वाड्रा काे इसलिए दिया क्याेंकि इनमें से अधिकतर नेताओं की आपत्ति पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इर्दगिर्द रहने वाली चौकड़ी के कामकाज पर थी। जी-23 की जम्मू बैठक के बाद दस जनपथ ने बगावत को गंभीरता से लिया। इस बीच, केरल और असम के नतीजों से भी राहुल को अध्यक्ष बनाने की मजबूत पैरवी करने वालों को खुराक नहीं मिली।
पता चला है कि गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा में फिर से भेजने पर सहमति हो चुकी है। अन्य असंतुष्टों में कपिल सिब्बल, शशि थरूर भूपिंदर सिंह हुडा को भी अहम भूमिका में लाने की तैयारी चल रही है।
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