कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को हरियाणा के अंबाला ज़िले में एक सार्वजनिक सभा के दौरान बताया है कि वह इतनी सर्दी में हाफ़ टी-शर्ट क्यों पहनते हैं.
राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ बीते चार महीनों में दक्षिण भारतीय राज्यों से शुरू होकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य प्रदेशों से होती हुई हरियाणा पहुंची है.
इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी सिर्फ़ सफेद रंग की हाफ़ टी-शर्ट में नज़र आए हैं. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में भी राहुल गांधी हाफ़ टी-शर्ट में ही नज़र आए थे.
इसके बाद सोशल मीडिया पर उनका इतने सर्द मौसम में हाफ़ टी-शर्ट पहनना चर्चा का विषय बन गया था.
उन्होंने कहा कि ‘बीजेपी ने मेरी टी-शर्ट को लेकर बवाल खड़ा कर दिया है. इनको समझ नहीं आ रहा है…(पूछ रहे हैं) ये सफ़ेद टी-शर्ट क्यों पहना है. मैं आपको बताता हूं कि मैं टी-शर्ट क्यों पहनता हूं.
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक दिन सुबह लगभग छह बजे यात्रा शुरू हुई…हम सुबह छह बजे ही निकलते हैं. तो मैंने देखा कि तीन बच्चे मेरे पास आ गए हैं. वे मेरे साथ फ़ोटो लेना चाहते थे. मैंने फ़ोटो लेने के लिए उन्हें पकड़ा तो देखा कि वो सर्दी से कांप रहे हैं. फिर मैंने देखा कि वह पतली सी शर्ट पहने हैं. वो भी फटी हुई थी.
उस दिन मैंने तय कर लिया कि मेरे लिए जब तक सर्दी असहनीय नहीं हो जाएगी, जब तक मैं बुरी तरह कांपना शुरू नहीं कर दूंगा तब तक स्वेटर नहीं पहनूंगा. मैं उनको संदेश देना चाहता हूं कि अगर आपको ठंड लग रही है तो राहुल गांधी को भी ठंड लग रही है. और जिस दिन आपने स्वेटर पहन लिया, उस दिन राहुल गांधी स्वेटर पहन लेगा.’
उन्होंने ये भी कहा – ‘इससे भी ज़्यादा ख़राब बात ये है कि कोई और लाखों लोगों की तपस्या का फल चख लेता है. किसान बहुत मेहनत करके फ़सल बीमा के लिए पैसे देते हैं. लेकिन जब बरसात और तूफ़ान उनकी फ़सल तबाह कर देता है तो वो मुआवज़ा मांगने जाते हैं और बीमा कंपनी मिलती नहीं है. और किसान को कुछ नहीं मिलता. मैं एक ऐसा भारत चाहता हूं जहां सरकार उनका ख़्याल रखे जो तपस्या करते हैं.’
राहुल गांधी ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाभारत का ज़िक्र करते हुए कहा कि ‘ये युद्ध भी महाभारत जैसा युद्ध है. पांडव तपस्या कर रहे थे. पांडवों ने अन्याय के ख़िलाफ़ जंग लड़ी. वो नफ़रत के बाज़ार में मोहब्ब्त की दुकान खोल रहे थे. वे नफ़रत नहीं फैला रहे थे. और ना ही ग़लत ढंग से जीएसटी या नोटबंदी कर रहे थे.
वे ऐसा नहीं कर रहे थे क्योंकि वे जानते थे कि ये आम लोगों से पैसा लूटने के तरीके हैं. अमीर और समृद्ध लोग पांडवों के साथ नहीं थे, लेकिन आम लोग उनके साथ थे. आज की तारीख़ में तीन सबसे बड़े उद्योग घराने कौरवों के साथ खड़े हैं. और ये कौरव कौन हैं? वे खाकी पैंट पहनते हैं, हाथ में लाठी रखते हैं और शाखा आयोजित करते हैं. मोदी ने नोट बंदी पर हस्ताक्षर भले ही किए हों, लेकिन अरबपतियों ने दबाव डालकर उनसे ये काम करवाया.’