April 28, 2024 : 1:09 AM
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सौम्या तिवारी: कपड़े धोने की मोगरी से महिला अंडर-19 टीम की उपकप्तानी तक का सफ़र

सौम्या तिवारी

घर में वो मोगरी (कपड़े धोने वाले बैट) से खेलती थी. फिर सौम्या और उसकी बड़ी बहन साक्षी घर के नीचे क्रिकेट खेलने लगीं और कुछ दिनों बाद मोहल्ले के मैदान में. बहन ही उसे अरेरा क्रिकेट क्लब लेकर गई और अब वो अंडर-19 टीम की उपकप्तान हैं.”

स्कूटर संभालकर सौम्या के पिता मनीष तिवारी ने बड़े इत्मीनान से अपनी बिटिया के बारे में कई बातें कहीं.

अब जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ऑलराउंडर सौम्या तिवारी सीधे भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम में उपकप्तान चुन ली जाए तो पिता के चेहरे पर इत्मीनान और गर्व का होना स्वाभाविक है.

सौम्या भोपाल की पहली महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनी है. भोपाल की अरेरा अकादमी से इंडिया टीम तक का सफ़र उन्होंने महज़ छह साल में ही पूरा कर लिया

सौम्या के पिता मनीष तिवारी कलेक्टर दफ़्तर की निर्वाचन शाखा में सुपरवाइज़र हैं. वो ख़ुद भी क्रिकेट खेलते थे, लेकिन 1986 में स्कूटर से ऐसा हादसा हुआ कि पैर की हड्डी के दो टुकड़े हो गए और पेशेवर क्रिकेट खेलने का सपना भी टूट गया. लेकिन मनीष तिवारी का यह सपना उनकी बेटी की आंखों में पलने लगा.

कैसे हुई शुरुआत

तिवारी कहते हैं, “हम पुराने भोपाल के शाहजहानाबाद में रहते थे. 2000 के बाद नए भोपाल के गौतम नगर इलाक़े में आए. मुझे क्रिकेट खेलने और देखने का शौक़ था, इसलिए मेरे साथ पूरा परिवार भी क्रिकेट का शौक़ीन बन गया

सौम्या मोगरी और प्लास्टिक की बॉल से घर में क्रिकेट खेलती थी. 5 साल की उम्र में मोहल्ले के मैदान में बच्चों को क्रिकेट खेलता देख उसे पैड और हेलमेट पहनने का शौक़ पैदा हुआ. 2016 में गर्मी की छुट्टियों के दौरान उसकी बहन उसे ओल्ड कैंपियन स्कूल में समर कैंप में लेकर गई.”

कहते हैं, “दूसरे दिन जब वो आई तो ज़िद करने लगी कि सर ने कहा है क्रिकेट की किट चाहिए. मैंने समझाने की कोशिश की, तो वो अड़ गई और कहा कि सर ने कहा है कि किट के साथ ही मैदान में आना है तो मैंने सबसे सस्ता किट खरीद कर दे दिया. अब हमारे ज़माने में तो हम एक पैड से, कॉर्क बॉल से मैट पर खेलते थे, लेकिन सौम्या ने पूरा किट ख़रीदा.”

सौम्या ऑलराउंडर हैं. ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी के साथ वो ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी भी करती हैं. 6-7 सालों के सफ़र में उन्होंने ये कामयाबी हासिल की है, इस कहानी के अहम किरदार उनके कोच सुरेश चेनानी हैं.

चेनानी बताते हैं कि जब सौम्या की बड़ी बहन उसे अकादमी लेकर आई थीं तो उन्होंने कोचिंग देने से मना कर दिया था.

कहते हैं, “मैं 2000 में लड़कियों को कोचिंग देता था. उस वक़्त एक बच्ची श्वेता मिश्रा अंडर-19 इंडिया कैंप के संभावितों में चयनित हुई थी. 2008 में इंडिया टीम का कैंप करने के बाद जब उसका चयन नहीं हुआ तो वो घर बैठ गई. इसी तरह एक और लड़की थी. फिर मेरा मन खट्टा हो गया.”

“मैं लड़कियों पर मेहनत करता हूं कि ये लड़कियां लड़कों से अच्छा करें और भोपाल का नाम आगे बढ़ाएं. इसीलिए मैंने सौम्या को मना कर दिया, लेकिन वो ज़िद पर अड़ गई कि सर मुझे आपसे ही कोचिंग लेनी है. वो बराबर आती रही, फिर मैंने जूनियर ग्रुप में उसे रखा.

लड़कों के टूर्नामेंट में फ़ील्डिंग

चेनानी के अनुसार, “थोड़े दिनों बाद इसी मैदान पर अंडर-14 इंटर एकेडमी लड़कों का टूर्नामेंट हो रहा था. वो आकर खड़ी हो गई और बोली सर मुझे मैच खेलना है, तो मैंने कहा कि बेटा ये प्रैक्टिस नहीं टूर्नामेंट का मैच है और आप अभी नए हो तो ऐसा नहीं चलेगा. इस पर वो बहुत रुआंसी हो गई और घर जाकर अपने पापा को बताया.”

वो कहते हैं, “उनके पापा ने मुझे फ़ोन किया और बोले कि फ़ील्डिंग ही करवा दो. तब मैंने कहा कि ठीक है सामने वाली टीम से बोलकर ये करवा सकते हैं. उन्होंने परमिशन दे दी, उस मैच में इसने लड़कों से कहीं ज़्यादा अच्छी फ़ील्डिंग की, तब मैंने सोचा कि इस पर अच्छी मेहनत करते हैं. उसके बाद इसे ऑफ़ स्पिनर के तौर पर तैयार किया. उसके बाद इसका डिविज़न में सेलेक्शन हो गया.

लड़कों के बीच जमाई धाक

सौम्या ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ़ कॉन्वेंट में 12वीं की छात्रा है. अपने कोच की बात उन्होंने लड़कों के बीच धाक जमाकर साबित की. यह धाक स्कोरबोर्ड पर भी दिखती है.

उनके कोच चेनानी बताते हैं, “सौम्या जब 14-15 साल की थी, तभी मध्यप्रदेश की अंडर-19 टीम में इसका चयन हो गया और फिर अंडर-23 में आ गई. पिछले 2 साल से अंडर-19 में इतना अच्छा कर रही थी कि अपनी टीम को पिछले साल जयपुर में रनर-अप बनाया. चैलेंजर ट्रॉफ़ी में मौका मिला तो पहले मैच में ही नाबाद 105 रन बना दिया.

वो बताते हैं, “हाल में अंडर 19 टी 20 टूर्नामेंट हुआ तो इसने मप्र को चैंपियन बनाया. सारे मैचों में एकतरफ़ा प्रदर्शन किया. न्यूज़ीलैंड के साथ 5 मैचों की सिरीज़ में ढेर सारे रन बटोरे.”

“उसमें लगन और समझ है. 6 साल क्रिकेट को दिया और अब इंडिया खेल रही है. इतना प्रतिभाशाली कम ही बच्चा होता है. वो लड़कों पर भारी है. जो हमने सिखाया वो उसे फ़ौरन सीखती है. इसने दिखाया है कि जहां रहेगी लड़कों से बेहतर करेगी.’

‘विराट कोहली सौम्या के पसंदीदा क्रिकेटर हैं, वो कोहली की तरह 18 नंबर की जर्सी पहनती हैं और उन्हीं की तरह बल्लेबाज़ी करने की कोशिश करती हैं.

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