जलवायु परिवर्तन का सीधा असर आपके बैंक खाते पर यानी आपकी जेब पर हो सकता है.
ऐसा नहीं है कि केवल चीज़ों की क़ीमतें बढ़ेंगी और हर महीने आपका बिल बढ़ेगा. अगर आप ऐसे इलाक़ों में रहते हैं, जहां बाढ़ या तूफ़ान आने की संभावना अधिक हो तो आपका घर तबाह हो सकता है या आपकी नौकरी भी जा सकती है.
एक स्टडी के अनुसार, साल 1980 के बाद से साल में ऐसे दिनों की संख्या क़रीब दोगुनी हो गई है जब पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार रहता है.
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेन्टल पैनल (आईपीसीसी) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन कम कम किए जाने के बाद भी संभव है कि साल 2040 तक धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाए.
तापमान बढ़ने के साथ तूफ़ान, सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का आना भी बढ़ने की आशंका है जिससे लोगों के जानोमाल के लिए ख़तरा बढ़ेगा.
मौसम में आने वाले बदलावों के साथ इस तरह की घटनाओं के कारण फसल बर्बाद होने का जोखिम अधिक रहेगा. इसका असर हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतों और भोजन, पानी और बिजली जैसी सुविधाओं पर पड़ सकता है और इनकी क़ीमतें बढ़ सकती हैं.
जलवायु परिवर्तन का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी होगा और इस पर उनका खर्च बढ़ेगा. रही घरों की बात तो जलवायु परिवर्तन के साथ बढ़ती गर्मी और कड़ाके की ठंड में रहने के लिए लोगों का एयर कंडीशनर और हीटर का इस्तेमाल बढ़ेगा. यानी ऊर्जा की खपत बढ़ेगी और आपका खर्च भी.
हम कह सकते हैं कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के कारण धीमी होती आर्थिक विकास की दर और बढ़ती महंगाई आपकी जेब के लिए अच्छा साबित नहीं होगा.
हम आपका बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण आपकी जेब पर पड़ने वाले पांच बड़े असर के बारे में.