जमीन से हवा में मार करने वाली (सर्फेस-टू-एयर) आकाश मिसाइलों के बेड़े में एक नई घातक मिसाइल का नाम जुड़ा है। इस नई मिसाइल का नाम आकाश ‘प्राइम’ दिया गया है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने सोमवार को ही ओडिशा की चांदीपुर रेंज से इस मिसाइल का परीक्षण किया। मिसाइल के टेस्टिंग वीडियो में इसे हवा में तैर रहे एक मानवरहित लक्ष्य को अचूक निशाने से भेदते देखा गया। अब इस सफल टेस्टिंग के बाद कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आकाश प्राइम मिसाइल को चीन को ध्यान रखते हुए बनाया गया है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आकाश प्राइम मिसाइल भारत की बाकी मिसाइलों से कैसे अलग है और इसमें क्या खासियत हैं, जो इसे बाकी मिसाइलों से अलग बनाती है…
क्या हैं आकाश मिसाइल?
आकाश मिसाइलों को विकसित करने का काम डीआरडीओ ने किया है और इनका उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की ओर से किया जाता है। इसके सर्विलांस, रडार, कमांड सेंटर और लॉन्चर को बाने की जिम्मेदारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (बीईएल), टाटा पावर स्ट्रैटिजिक इंजीनियरिंग डिवीजन और लार्सेन एंड टूब्रो के पास हैं।
अगली मिसाइल आकाश-1एस रही। यह मिसाइल आकाश मार्क-1 के ही आधुनिक रूप के तौर पर विकसित हुई। दरअसल, सेना लंबे समय से ऐसी मिसाइल चाहती थी, जो खुद ही निशाने को ज्यादा सफाई से पहचान कर उन्हें तबाह कर दे। डीआरडीओ ने आकाश-1एस की टेस्टिंग 25 से 27 मई 2019 के बीच पूरी कर ली। इस मिसाइल की रेंज आसमान में तीस किलोमीटर तक है और यह एक बार में 60 किलोग्राम तक पेलोड ले जा सकती है। यह मिसाइल हवा में भी नियंत्रित की जा सकती है और खुद भी सेंसर्स के जरिए ड्रोन्स से लेकर फाइटर जेट्स तक को निशाना बना सकती है।
आकाश प्राइम बाकी दोनों मिसाइलों से अलग कैसे?
क्या हैं आरएफ सीकर?
भारत ने जो आकाश प्राइम मिसाइल के लिए जो आरएफ सीकर तैयार किए हैं, वो मुख्य तौर पर कम तापमान में भी अचूक निशाने के साथ काम करने के लिहाज से बनाए गए हैं। इनका निर्माण डीआरडीओ की ही डीआर-एल लैब में हुआ है। ये आरएफ सीकर उन ऊंची ठंडी जगहों पर ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेंगे, जहां सामान्य आरएफ सीकर टारगेट को ढूंढकर खत्म करने में नाकाम हो जाते हैं। यानी कि भारत की उत्तरी और पूर्वोत्तर की सीमा पर ये मिसाइलें काफी कारगर साबित होंगी। माना जा सकता है कि डीआरडीओ ने आकाश प्राइम की तकनीक को काफी हद तक चीन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है।