चीन ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मज़बूत करने की दिशा में एशिया-प्रशांत व्यापार सौदे में शामिल होने के लिए आवेदन किया है.
चीन ने यह क़दम तब उठाया है जब एक दिन पहले ही इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सुरक्षा सौदे को अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया अनुमति दे चुके हैं.AUKUS के नाम से जाने जा रहे इस समझौते के पीछे अमेरिका का उद्देश्य चीन के इस क्षेत्र में बढ़ते दबदबे को कम करना बताया जा रहा है.
चीन किस समझौते में शामिल होना चाहता है?
चीन जिस सौदे में दाख़िल होना चाहता है उसे अमेरिका ने ही चीन के दबदबे को ख़त्म करने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फ़ॉर ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (CPTPP) के नाम से शुरू किया था.
लेकिन साल 2017 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते से बाहर आ गए थे.
चीन के वाणिज्यिक मंत्री वांग वेंटाओ ने कहा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने मुक्त व्यापार समझौते के लिए न्यूज़ीलैंड के व्यापार मंत्री डेमियन ओ’कोनोर के आगे आवेदन किया है.
न्यूज़ीलैंड इस समझौते के प्रशासनिक केंद्र के रूप में काम करता है.
चीन के वाणिज्यिक मंत्रालय ने बताया है कि चीन के आवेदन के बाद वांग और ओ’कोनोर ने टेलिफ़ोन पर अगले क़दम को लेकर चर्चा की है
वास्तविक ट्रांस-पैसिफ़िक पार्टनरशिप (TPP) को तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आगे बढ़ाया था जिसका मक़सद चीन के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते दबदबे के ख़िलाफ़ एक आर्थिक गुट खड़ा करना था.
इसके बाद ट्रंप ने अमेरिका को इस सौदे में से निकाल लिया था और जापान के नेतृत्व के बाद इसने CPTPP का रूप लिया था.
साल 2018 में CPTPP के समझौते पर 11 देशों ने हस्ताक्षर किए थे जिनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली, जापान और न्यूज़ीलैंड शामिल थे.
जून में ब्रिटेन ने CPTPP में शामिल होने के लिए आधिकारिक बातचीत की शुरुआत की थी, वहीं थाईलैंड ने भी संकेत दिए थे कि वह इस समझौते में शामिल होने में रुचि रखता है.
CPTPP चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है और ख़ासकर तब जब उसने पिछले साल नवंबर में 14 देशों के साथ एक अलग मुक्त व्यापार समझौता किया है जिसे रीज़नल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) कहा जाता है.RCEP दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक गुट है जिसमें दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे देश शामिल हैं.