केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री, अमित शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हिंदी दिवस-2021 समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कहा, बच्चे को मातृभाषा के ज्ञान से वंचित कर देंगे, तो वे अपनी जड़ों से कट जाएगा। कोई भी व्यक्ति अपनी भाषा से अच्छी अभिव्यक्ति किसी और भाषा में नहीं कर सकता। ये बात हमें अपनी नई पीढ़ी को समझानी होगी कि भाषा कभी बाधक नहीं हो सकती, हम गौरव के साथ अपनी भाषा का उपयोग करें, झिझकें नहीं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के युवा इस बात को अपने मन में बिठा लें कि हम हमारी भाषाओं को छोड़ेगे नहीं। शाह ने अभिभावकों से कहा, भले ही आपका बच्चा अंग्रेजी माध्यम में पढ़ता हो, लेकिन घर में उसके साथ अपनी भाषा में बात करने की शुरुआत करें। कोई बाहर की भाषा हमें इस देश के गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित नहीं करा सकती। जो लोग अपनी जड़ों से कट जाते हैं, वे लोग कभी ऊपर नहीं जाते। ऊपर तो केवल वही जाता है, जिस वृक्ष की जड़ें गहरी, मजबूत और फैली हों।इस दौरान शाह ने कहा कि हिंदी का किसी स्थानीय भाषा से कोई मतभेद नहीं है। हिंदी, भारत की सभी भाषाओं की सखी है और यह सहअस्तित्व से ही आगे बढ़ सकती है। 14 सितंबर हमारे लिए एक मूल्यांकन का दिन होता है कि हमने अपने देश की भाषाओं और राजभाषा के लिए क्या किया है। आज जब हमने पीछे मुड़कर देखते हैं तो देश में एक समय आया था कि हमें ऐसा लगता था कि शायद भाषा की लड़ाई देश हार जाएगा। शाह ने कहा कि हम ये लड़ाई कभी नहीं हारेंगे, युगों-युगों तक भारत अपनी भाषाओं को संभालकर, संजोकर रखेगा, और हम उन्हें लचीला व लोकोपयोगी भी बनाएंगे।
शाह ने कहा, अब कोई संकोच रखने की ज़रूरत नहीं है, देश के प्रधानमंत्री दुनिया के उच्च से उच्च अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी भाषा में बोलते हैं, तो हमें किस चीज का संकोच है। वह जमाना गया जब हिंदी बोलते थे तो होता था कि किस प्रकार से सामने वाला व्यक्ति मेरा मूल्यांकन करेगा। आपका मूल्यांकन आपके कामों के आधार पर ही होगा, आपकी क्षमताओं के आधार पर ही होगा, भाषा के आधार पर नहीं होगा। गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि भारतीय संस्कृति एक विकसित सतदल कमल की तरह है, जिसकी प्रत्येक पंखुड़ी हमारी प्रादेशिक भाषा की तरह है और कमल हमारी राजभाषा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा भारत ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत अच्छे तरीक़े से लड़ी है। भारत, कम से कम क्षति के साथ इस महामारी से बाहर निकला और ऐसा इसीलिए हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के साथ, राज्यपालों के साथ, व्यापारी मंडलों के साथ, डॉक्टरों के साथ और देश की जनता को संबोधित करने के 35 से ज्यादा प्रयास किये। सभी प्रयास राजभाषा में किए। इससे जनता के बीच नीचे तक सरकार की बात पहुंचाने में मदद मिली और देशभर में कोरोना के ख़िलाफ़ मजबूती से लड़ने में मदद मिली।