अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के हामिद करज़ई एयरपोर्ट पर बीते 10 दिनों से अफ़रा-तफ़री का आलम है. हज़ारों लोगों की भीड़. चीख़ पुकार. कभी गोलीबारी तो कभी भगदड़.
तालिबान के काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद से अमेरिका और पश्चिमी देशों के लोग यहां से निकलने की कोशिश में हैं. विदेशियों के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की डेडलाइन 31 अगस्त है और तालिबान के प्रवक्ता ने मंगलवार को की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस ‘डेडलाइन को बढ़ाया नहीं जाएगा.’
तालिबान के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के लिए ये वक़्त काफी है जबकि अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देश मानते हैं कि 31 अगस्त तक सभी विदेशियों का अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकल पाना मुश्किल है.इस एयरपोर्ट पर दुनिया की सबसे ताक़तवर कही जाने वाली अमेरिकी सेना का कंट्रोल है. लेकिन ज़मीनी स्थिति पर उसका नियंत्रण कैसा है ये अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दो दिन पहले के बयान से आसानी से समझा जा सकता है.राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ” दिल दहलाने वाली तस्वीरें जो आप देख रहे हैं, और दर्द के बिना लोगों को यहाँ से निकालना मुमकिन नहीं है.”
15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा कर लिया था. तभी से अमेरिका और नेटो के सैनिकों के अलावा इनका सहयोग करने वाले अफ़ग़ानिस्तान के हज़ारों नागरिक ये मुल्क छोड़कर बाहर निकल जाना चाहते हैं.
बाहर जाने के लिए डेडलाइन भी तय है. 31 अगस्त. तालिबान ने चेतावनी भी जारी कर दी है कि इसके बाद ‘यहाँ रहने वालों को अंजाम भुगतना होगा.’
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने काबुल में मौजूद तालिबान के एक अनाम लड़ाके के एक बयान का ज़िक्र किया है. ये लड़ाका काबुल में बड़ी भीड को संबोधित कर रहा था.
तालिबान के लड़ाके ने कहा, “हम अमेरिकियों को यहाँ रहने नहीं देंगे. उन्हें ये जगह छोड़नी होगी. चाहे हाथ में बंदूक हो या फिर पेन, हम आख़िरी साँस तक लड़ेंगे.”