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- The Doors Of The World Famous Nag Chandraeshwar Opened At 12 O’clock In The Night, Mahant Vineet Giri And Mahakal Temple Administrator Narendra Suryavanshi Did The First Worship.
उज्जैन3 घंटे पहले
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श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के बाद अंदर गर्भगृह में श्री नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग के पूजन किये।
आज नागपंचमी के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध नाग चन्द्रेश्वर मन्दिर के पट खोले गए। प्रथम पूजन श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी एवम मंदिर समिति के प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी ने किया। श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के बाद अंदर गर्भगृह में श्री नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग के पूजन किये। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दर्शन की शुरुआत की गई।
श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा का पूजन किया गया।
लाइव दर्शन महाकाल मंदिर के मोबाइल एप व अधिकृत वेबसाइट के माध्यम से किये जा सकेंगे। दर्शन आज रात 12 बजे तक ही होंगे। महाकाल मंदिर में नाग चन्द्रेश्वर के दर्शन के लिए कई स्थानों पर एल ई डी भी लगाई गई है। मन्दिर के दर्शन साल में केवल एक बार ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। यहीं देशभर से हजारों की संख्या में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित है प्रतिमा
ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के सबसे ऊपरी तल पर ये प्रतिमा स्थित है। नाग चंद्रेश्वर के दर्शनों के लिए एक दिन पहले ही यहां श्रद्धालुओं को लंबी कतारें लग जाती हैं। नाग चंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश करते ही दाईं ओर भगवान नाग चंद्रेश्वर की प्रतिमा दिखाई देती है। ये प्रतिमा मराठाकालीन कला का उत्कृष्ट नमूना है और शिव-शक्ति का साकार स्वरूप है। 24 घंटे निरंतर दर्शन के बाद रात 12.30 बजे फिर एक वर्ष के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे। गेट बंद करने से पहले त्रिकाल पूजा के क्रम में रात 8 बजे महाकाल मंदिर की ओर से परंपरागत पूजन किया जाएगा।
नागचंद्रेश्वर की ये प्रतिमा शिव-शक्ति का साकार स्वरूप है।
एकमात्र प्रतिमा, जहां पर शिव-पार्वती सर्प शय्या पर विराजमान हैं
नागचंद्रेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। गर्भगृह के बाहर दीवार पर 11वीं शताब्दी की दुर्लभ प्रतिमा है। इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। मान्यता है यह एकमात्र प्रतिमा है जिसमें भगवान शिव-पार्वती सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
11वीं शताब्दी का है मंदिर
नागपंचमी पर्व को भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 11वीं शताब्दी के परमारकालीन महाकाल मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है। मंदिर में शेषनाग पर विराजित भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है। साल में केवल एक ही बार खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करीब 2 से 3 लाख श्रद्धालु आते थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार भी श्रद्धालुओं को ऑनलाइन ही भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने पड़ेंगे। मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का भी निवारण हो जाता है। ग्रह शांति, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना के लिए भी लाखों श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दरबार पर मत्था टेकते हैं।
इस लिंक पर क्लिक कर लाइव दर्शन कर सकते हैं।
http://dic.mp.nic.in/ujjain/mahakal/default.aspx
इस लिंक से ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।
https://play.google.com/store/apps/details?id=in.nic.mahakalapp