डिंडौरी38 मिनट पहले
डिंडौरी जिले में किकरकुंड फाॅल है। इस कुंड में दनदना नदी के पानी से बनने वाले झरने का सौंदर्य मुख्यत: बारिश के दिनों में चरम पर होता है। प्रकृति की गोद में बसे नैसर्गिक किकरकुंड में हर सीजन में गिरने वाला प्राकृतिक झरना है। यहां के बुजुर्ग कहते हैं कि किकरकुंड सदियों पहले प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ था।
यह झरना डिंडौरी जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर मेहंदवानी विकासखंड के चिरपोटी ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम घुघरा टोलाझरने के आसपास हरियाली है। इसकी रफ्तार इतनी है कि 2 किलोमीटर दूर से ही झरने की आवाज सुनाई पड़ती है। झरना 60-70 फीट ऊंचा और करीब 40 फीट चौड़ा है। इसका दूधिया पानी का गुब्बार पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
60 से 70 फीट ऊंचाई से जब पानी गिरता है, तो ऐसा लगता है कि जैसे दूध का झरना बह रहा हो।
दनदना नदी से उदगम, मेले भी लगते हैं
यह झरना दनदना नदी से बनता है। यहां का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है। मकर संक्रांति, आंवला नवमी समेत कई अवसरों पर यहां मेला भी लगता है। यहां काफी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
झरने के पास सदियों पुराना स्वयंभू शिवलिंग, देवी-देवताओं के निशान
किकरकुंड के आसपास प्राचीन मंदिर स्थित हैं। यहां शंकरकुंड (किकरकुंड) से प्रकट हुए भगवान शिव का लिंग भी स्थापित है। ग्राम पंचायत चिरपोटी के ग्रामीण संतोष धुर्वे बताते हैं, यह शिवलिंग कब से यहां विराजित है, इसका प्रमाण नहीं है। यहां काफी प्राचीन स्थल है। हम और दादा-परादादाओं ने भी इसके दर्शन किए हैं। यहां पर देवी दुर्गा, हनुमान जी आदि की भी प्राचीन प्रतिमाएं और अन्य देवी-देवताओं के निशान मौजूद हैं।
जलप्रपात के आसपास मंदिर भी मौजूद हैं।
तत्कालीन कलेक्टर-कमिश्नर ने पर्यटन स्थल बनाने की पहल की थी
किकरकुंड झरने की प्राकृतिक सुंदरता देखने के बाद तत्कालीन कलेक्टर नागरगोजे मदन विभीषन और कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी ने यहां पर्यटन स्थल बनाने की पहल की थी। आज तक विकास यहां नहीं हो सका है। इसके आसपास रैलिंग व अन्य सुरक्षा व्यवस्था न होने से यहां हादसे भी हो चुके हैं। पूर्व में दो लोगों की फिसलकर गिरने से मौत हो चुकी है।
कैसे पहुंचें किकरकुंड झरने तक..
बरसात के दिनों में मेहंदवानी से कठौतिया बगली होकर 14 किमी का सफर कर पहुंचा जा सकता है। वहीं, खुले मौसम में कठौतिया से 3 किमी, सरसी से 4 किमी और मेहंदवानी से 5 किमी की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है।
जलप्रपात के पास स्वयंभू शिवलिंग भी मौजूद है। लोगों का कहना है कि यह कई वर्षों से यहां है।