राजधानी के उपनगर कोलार नयापुरा में स्थित मां पहाड़ा वाली मंदिर इन दिनों सुर्खियों में हैं। 121 सीढ़ी चढ़कर पहाड़ी पर श्रद्धालु मड़िया में पहुंचते हैं। माता के दर्शन करते हैं और उन्हें चप्पलें भेंट करते हैं। यह अनूठी परंपरा तीस सालों से चली आ रही है। मंदिर में बाल स्वरूप में विराजी मां सिद्धिदात्री कामेश्वरी देवी चरण पादुकाएं यानी चप्पल, सैंडल इत्यादि चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं। चप्पलों के साथ ही मातारानी को श्रद्धालु सीसा, कंघा, चश्मा, टोपी, हाथों में पहनने के कढ़े, बिंदी आदि भी चढ़ाते हैं। मान्यता है कि नवरात्र में माता चप्पलों से खेलती हैं। इस दौरान वो प्रसन्न होती हैं तो श्रद्धालुओं की मानोकामना पूरी करती हैं।
मातारानी पहनती हैं फ्राक, गर्मी में टोपी भी पाइनाई जाती है
मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि मां सिद्धिदात्री कामेश्वरी माता का बाल स्वरूप है। जिस तरह बच्चे बचपन में चप्पलों, जूतों से खेलते हैं। चश्मा लगाने का शौक करते हैं, उसी तरह मातारानी शौक करती हैं। नवरात्र में मातारानी को पूरे शौक कराए जाते हैं। मातारानी के दरबार में आने वाले श्रद्धालु उन्हें चप्पले चढ़ा कर जाते हैं। इतना ही नहीं, कोई मातारानी के समक्ष चश्मा, फ्राक, बिंदी आदि श्रृंगार की सामग्री भेंट करते हुए अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए कामना करता है। मातारानी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती हैं
30 सालों में 10 लाख से अधिक लोग पोशाक, चप्पल चढ़ा चुके
मंदिर पर साल भर समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम होते हैं। पंडित ओम प्रकाश महाराज बताते हैं कि पिछले 30 सालों में मंदिर में 10 लाख से ज्यादा की पोशाक, चप्पल, चश्मा, बिंदी सहित अन्य सामग्री भेंट कर चुके हैं। पूरे कोलार सहित शहर भर से लोग नवरात्र के दिनों में मातरानी को चप्पलें चढ़ाने आते हैं। चप्पलों व अन्य सामग्रियों को जरूरतमंद बेटियों को बांट दिया जाता है। इससे मातारानी प्रसन्न होती हैं। हर दिन मातरानी का श्रृंगार करके उन्हें फ्राक पहनाई जाती है। शहर के ऐसे लोग जो देश के अन्य शहरों में बस गए हैं, वो वहीं से मातारानी के लिए चप्पलें व अन्य सामग्री भिजवाते हैं।