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बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम हर घर की समस्या:बच्चों को समझाएं कि खाते-घूमते वक्त मोबाइल से दूर रहें, खुद भी उनके रोल मॉडल बनें

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  • Explain To The Children That While Eating And Roaming, Stay Away From Mobile, Be Their Role Model Yourself.

एक घंटा पहलेलेखक: शिरा ओविड

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जब बच्चों के साथ रहें तो स्क्रीन से दूरी रखने की कोशिश करें। उन्हें स्कूल छोड़ने-लेने जाएं तो भी फोन ज्यादा न देखें।  - Dainik Bhaskar

जब बच्चों के साथ रहें तो स्क्रीन से दूरी रखने की कोशिश करें। उन्हें स्कूल छोड़ने-लेने जाएं तो भी फोन ज्यादा न देखें। 

  • विशेषज्ञों का सुझाव- बच्चों को टेक्नोलॉजी से दूर रखने से स्क्रीन टाइम की समस्या हल नहीं होगी

बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। महामारी के बाद तो यह और भी अहम हो गया है। चाइल्ड डेवलपमेंट एक्सपर्ट और डॉक्टर कोलीन रूसो जॉनसन कहती हैं कि हम सभी चाहते हैं कि बच्चे ज्यादा देर तक स्क्रीन से ना चिपके रहें। पर क्या हमने उन्हें इसके लिए विकल्प दिए हैं। बाहर खेलना फिलहाल सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अभिभावक चाहते हैं कि उनके काम के समय बच्चे कहीं व्यस्त रहें।

यह गैजेट से ही संभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे नकारात्मक तरीके से ही नहीं देखा जाना चाहिए। नियम बनाने या सख्ती से भी इस समस्या पर नियंत्रण नहीं हो सकता। विशेषज्ञों से जानिए, बच्चों का स्क्रीन के साथ हेल्दी बैलेंस कैसे बना सकते हैं

1. गतिविधियों से रचनात्मक होने के लिए प्रोत्साहन दें
स्क्रीन टाइम घटाने के लिए डिजिटल मीडिया पर ऐसी गतिविधि तलाशें जो उन्हें स्क्रीन से दूर रहने और रचनात्मक बनने के लिए प्रोत्साहित करे। जैसे स्कैवेंजर हंट (आभासी शिकार) पर जाना। या फिर ऑन स्क्रीन संकेतों के जरिए ड्रेसअप जैसे गेम खेलना। कुछ एप छोटे बच्चों को ओपन एंडेड गेम का पता लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। ओके प्ले में बच्चों और परिजनों को ही स्टोरी का पात्र बनाया जाता है।

2. नजर रखें कि बच्चे स्क्रीन पर क्या देख रहे हैं
बच्चे स्क्रीन पर क्या देख रहे हैं, इस पर नजर रखें। डॉ. जॉनसन कहती हैं कि एक मां की शिकायत थी कि जब वो करीब होती हैं तो बच्ची फ्रेंच गाने देखती है। पर उनके हटते ही वो ऐसे वीडियो देखने लगती है, जिनमें खिलौनों को बुरे पात्रों के रूप में बताया जा रहा था। ऐसे में सख्ती के बजाय प्यार से समझाएं कि ये चीजें देखना क्यों गलत है। कुछ समय उनके साथ बैठकर उन्हें बताएं कि क्या देखना उनके लिए बेहतर होगा।

3. दिन के कुछ पल टेक से पूरी तरह मुक्त रखें
यह बहस लंबी है कि बच्चों को गैजेट कितनी देर देखने देना चाहिए। मनोविज्ञानी जॉन लेसर कहते हैं कि बच्चों को समझाएं कि दिन के कुछ खास मौकों पर जैसे खाना खाते वक्त, कार में घूमने जाते समय, किसी कार्यक्रम और आयोजन में या फिर रात को सोते वक्त स्क्रीन नहीं देखें। उन्हें ज्यादा देर देखने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताएं। कुछ दिनों में यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो जाएगा।

4. बच्चे आपसे ही सीखते हैं, उनके साथ समय बिताएं
टेक्नोलॉजी से जुड़े रहना बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी आकर्षित करता है। मनोवैज्ञानिक डॉ. एडम एल्टर कहते हैं कि हम हर घंटे फोन चेक करते रहते हैं, देर तक लैपटॉप पर काम या नेट सर्फिंग करते हैं। बच्चे न सिर्फ इसकी नकल करते हैं बल्कि उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना भी आती है। इसलिए जब बच्चों के साथ रहें तो स्क्रीन से दूरी रखने की कोशिश करें। उन्हें स्कूल छोड़ने-लेने जाएं तो भी फोन ज्यादा न देखें।

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