May 6, 2024 : 7:24 PM
Breaking News
राष्ट्रीय

कर्नाटक में नए CM की ताजपोशी: बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, येदियुरप्पा ने ही सुझाया था उनका नाम; लिंगायत समुदाय भी राजी

[ad_1]

Hindi NewsNationalKarnataka CM Basavaraj Bommai Oath Ceremony Update | Who Is Basavaraj Bommai? All You Need To Know

22 मिनट पहले

बसवराज बोम्मई कर्नाटक के नए CM बन गए हैं। राजभवन में राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बसवराज को पद की शपथ दिलवाई। इससे पहले सोमवार को विधायक दल की बैठक में इस्तीफा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ही मंगलवार को बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा था। बसवराज के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है। मोदी ने कहा है कि बसवराज अनुभवी हैं और भरोसा है कि वे कर्नाटक में हमारी सरकार द्वारा किए गए असाधारण कामों को आगे बढ़ाएंगे।

डिप्टी CM पर अभी फैसला नहींडिप्टी CM को लेकर मीडिया में अपने नाम की चर्चा को लेकर BJP नेता आर अशोक का कहना है कि पार्टी इस बारे में तय करेगी। वहीं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने भी कहा है कि कर्नाटक में उप मुख्यमंत्री को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बारे में तय करेगा।

बुधवार सुबह 11 बजे बसवराज का शपथ ग्रहण हुआ। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी स्टेज पर मौजूद थे।

बुधवार सुबह 11 बजे बसवराज का शपथ ग्रहण हुआ। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी स्टेज पर मौजूद थे।

28 जनवरी 1960 को जन्मे बसवराज सोमप्पा बोम्मई CM की कुर्सी संभालने से पहले कर्नाटक के गृह, कानून, संसदीय मामलों के मंत्री भी थे। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट बसवराज ने जनता दल के साथ राजनीति की शुरुआत की थी। वे धारवाड़ से दो बार 1998 और 2004 में कर्नाटक विधान परिषद के लिए चुने गए। इसके बाद वे जनता दल छोड़कर 2008 में भाजपा में शामिल हो गए। इसी साल वे हावेरी जिले के शिगगांव से विधायक चुने गए।

बसवराज सिंचाई के मामलों के एक्सपर्टइंजीनियर और खेती से जुड़े होने के नाते बसवराज को कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। राज्य में कई सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने की वजह से उनकी तारीफ होती है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100% पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है।

मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक जी किशन रेड्डी और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहे।

मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक जी किशन रेड्डी और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहे।

येदियुरप्पा ने सुझाया बोम्मई का नामकर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के चहेते और उनके शिष्य हैं। सूत्रों की मानें, तो येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझा दिया था। दरअसल, लिंगायत समुदाय के मठाधीशों के साथ हुई बैठक में येदियुरप्पा ने अपनी तरफ से इस नाम को उन सबके बीच रखा था।

कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरन बसवलिंग ने बताया अगर येदियुरप्पा एक इशारा करते, तो पूरा समुदाय उनके लिए भाजपा के विरोध में उतर आता। चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ती, लेकिन खुद येदियुरप्पा ने बसवराज बोम्मई की हिमायत की। लिंगायत समुदाय के होने की वजह से उनके नाम पर सभी मठाधीश जल्दी राजी हो गए।

येदियुरप्पा ने बोम्मई के नाम की खुद घोषणा की। वे बोम्मई के राजनीतिक गुरु भी हैं।

येदियुरप्पा ने बोम्मई के नाम की खुद घोषणा की। वे बोम्मई के राजनीतिक गुरु भी हैं।

बोम्मई के नाम पर लिंगायत समुदाय राजीयेदियुरप्पा को CM पद से इस्तीफा न देने के लिए अड़े लिंगायत समुदाय के सामने येदियुरप्पा ने जब बोम्मई के नाम का सुझाव रखा, तब जाकर भाजपा का विरोध रुका। दसअसल, लिंगायत समुदाय नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा इस्तीफा दें, लेकिन येदियुरप्पा ने इस समुदाय की बैठक में कहा था, ‘CM पद की शपथ लेने से पहले ही यह तय हो चुका था कि मुझे 2 साल बाद आलाकमान के निर्देश के हिसाब से काम करना होगा। शीर्ष नेतृत्व का पैगाम आ गया है। मुझे पद छोड़ना होगा।’

बोम्मई की संघ से नजदीकी भी उनके पक्ष मेंबसवराज बोम्मई के अलावा मुर्गेश निरानी और अरविंद बल्लाड के नाम भी चर्चा में रहे। तीनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं, लेकिन बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के करीबी ही नहीं, उनके शिष्य भी माने जाते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी काफी लोकप्रिय हैं। माना जाता है कि संघ और येदियुरप्पा के बीच की कड़ी के रूप में इन्होंने ही काम किया। येदियुरप्पा से संघ के बिगड़े रिश्तों का असर येदियुरप्पा के कामकाज पर न पड़े इसमें भी बड़ी भूमिका बोम्मई ने निभाई।

बसवराज बोम्मई के अलावा मुर्गेश निरानी और अरविंद बल्लाड के नाम भी चर्चा में रहे। तीनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं।

बसवराज बोम्मई के अलावा मुर्गेश निरानी और अरविंद बल्लाड के नाम भी चर्चा में रहे। तीनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं।

कर्नाटक में भाजपा को तीन कोण साधने थेसोमवार को येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ ही राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश की सियासत में हलचल थी कि आखिर बीएस येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक का CM कौन होगा? येदि को हटाकर भाजपा ने जानबूझकर आखिर राज्य के सबसे प्रभावी समुदाय लिंगायत से विरोध मोल क्यों लिया? अगर वे रूठ गए तो भाजपा का कर्नाटक में क्या होगा? लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लिंगायत समुदाय और येदियुरप्पा दोनों को साधने के लिए बसवराज बोम्मई का नाम तय किया।

दरअसल, भाजपा को कर्नाटक में तीन कोण साधने थे। पहला पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, दूसरा लिंगायत समुदाय और तीसरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। दरअसल, येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं। संघ की पृष्ठभूमि के भी हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भाजपा से निष्कासित होने के बाद उनके और संघ के शीर्ष नेतृत्व के संबंधों के बीच दरार आ गई थी। संघ कभी नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा भाजपा में वापस आएं, लेकिन 2013 के चुनाव में बिना येदियुरप्पा के भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। लिहाजा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा को वापस बुला लिया।

विधायक दल की बैठक में बोम्मई के नाम का ऐलान किया गया।

विधायक दल की बैठक में बोम्मई के नाम का ऐलान किया गया।

लिंगायत समुदाय का असर 100 विधानसभा सीटों परकर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 17% के आसपास है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से तकरीबन 90-100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। ऐसे में भाजपा के लिए येदि को हटाना आसान नहीं था। उनको हटाने का मतलब था, इस समुदाय के वोट खोने का खतरा मोल लेना।

येदियुरप्पा को नाराज नहीं कर सकती थी भाजपाभ्रष्टाचार के आरोपों के चलते बीएस येदियुरप्पा को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। अलग होने के बाद येदियुरप्पा ने कर्नाटक जनता पार्टी (केजपा) बनाई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि लिंगायत वोट कई विधानसभा सीटों में येदियुरप्पा और भाजपा के बीच बंट गए थे।

विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीटों से घटकर 40 सीटों पर सिमट गई थी। उसका वोट प्रतिशत भी 33.86 से घटकर 19.95% रह गया था। येदि की पार्टी को करीब 10% वोट मिले थे। 2014 में येदियुरप्पा की वापसी फिर भाजपा में हुई। यह येदियुरप्पा का ही कमाल था कि कर्नाटक में भाजपा ने 28 में से 17 लोकसभा सीटें जीतीं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Related posts

Indore airport news: फ्लाइट उड़ने से पहले यात्रियों को उतारा नीचे, कहा-निरस्त हो गई फ्लाइट, यात्रियों ने जताई नाराजगी

News Blast

कृषि कानूनों का विरोध LIVE: किसानों ने टोल प्लाजा फ्री करना शुरू किया; दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे जाम करेंगे

Admin

बजट पर केंद्र को मिले कई अनूठे सुझाव: तीन साल तक सरकार वसूले कोविड सेस, आईटी रिटर्न में विवाह खर्च दिखा सकें

Admin

टिप्पणी दें