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- Indian origin British Author Sanjeev Sahota’s Novel ‘China Room’ Also In Booker’s Race This Year, Tells The Suffering Of Migrants
2 घंटे पहलेलेखक: एलेक्स मार्शल
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संजीव सहोता काल्पनिक कथा की कैटेगरी में उपन्यास ‘चाइना रूम’ के लिए नामित हुए हैं।
साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार बुकर की दौड़ में इस साल भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक संजीव सहोता का उपन्यास भी शामिल है। मंगलवार को जारी पुरस्कार के दावेदारों की लिस्ट में नोबेल विजेता काजुओ इशिगुरो और पुलित्जर पुरस्कार विजेता रिचर्ड पावर्स जैसे दिग्गजों के साथ कुल 13 लेखकों के नाम हैं। इशिगुरो ने 1989 में ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ के लिए ब्रिटिश साहित्यिक पुरस्कार जीता था। यह एक बटलर की कहानी है जो नाजी सहानुभूित के लिए काम करता है। इस बार उन्हें ‘क्लारा एंड द सन’ के लिए नामित किया गया है।
यह एक 14 साल की लड़की की कहानी है, अकेलापन दूर करने के लिए उसे ह्यूमेनॉइड मशीन के रूप में एक साथी मिलता है। दूसरी कृति रिचर्ड पावर्स की ‘बिवाइल्डरमेंट’ है। इसमें पति को खो चुकी एक ज्योतिषी की कहानी है, जो अपने नौ साल के बेटे की देखभाल के लिए संघर्ष कर रही है। इसके अलावा रशेल कस्क की ‘सेकंड प्लेस’ भी जूरी को पसंद आई। इसमें महिला द्वारा चर्चित चित्रकार को घर बुलाने पर वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो जाता है।
जजों के पैनल की अध्यक्ष और इतिहासकार माया जैसनॉफ ने कहा कि सभी किताबें पाठकों को अनसुनी कहानियों से बांधे रखती हैं। इन किताबों में छोटे और एकांत से साइबरस्पेस के अतुलनीय विस्तार तक समुदाय के स्वभाव के बारे में कहने के लिए काफी महत्वपूर्ण बातें हैं। लिस्ट में अंतिम छह में जगह बनाने वाली किताबों की घोषणा 14 सितंबर को की जाएगी और विजेता का ऐलान 3 नवंबर को लंदन में होगा।
ये हैं बुकर 2021 के प्रमुख दावेदार
{अनुक अरुद्रप्रगसम (ए पैसेज नॉर्थ) {रशेल कस्क (सेकंड प्लेस) {डैमन गलगुट (द प्रॉमिस) {नाथन हैरिस (द स्वीटनेस ऑफ वाटर) {काजुओ इशिगुरो (क्लारा एंड द सन) {कारेन जेनिंग्स (एन आइलैंड) {मैरी लॉसन (ए टाउन काल्ड सोलेस) {पैट्रिशिया लॉकवुड(नो वन इस टाकिंग अबाउट दिज़) {नदीफा मोहम्मद (द फॉर्चून मैन) {रिचर्ड पावर्स (बिवाइल्डरमेंट) {संजीव सहोटा (चाइना रूम) {मैगी शिपस्टेड (ग्रेट सर्कल){फ्रांसिस स्पफर्ड (लाइट परपेचुअल)।
2015 में भी सहोटा का उपन्यास ‘द ईयर ऑफर रनअवेज’ नामित हुआ
संजीव सहोता काल्पनिक कथा की श्रेणी में उपन्यास ‘चाइना रूम’ के लिए नामित हुए हैं। जजों ने उनकी कृति की प्रशंसा करते हुए उसे प्रवासियों के अनुभव पर लाजवाब मोड़ बताया है। इस पीड़ा को बेहद सुलझे तरीके से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचते हुए दिखाया गया है।
सहोता ने बड़ी सहजता से इस बोझिल विषय को भी प्रेम, उम्मीद और हास्य से भर दिया है। 40 वर्षीय संजीव के दादा-दादी 1960 में पंजाब से ब्रिटेन आ गए थे। 2015 में भी सहोता के उपन्यास ‘द ईयर ऑफ रनअवेज’ को बुकर पुरस्कार के लिए नामित किया जा चुका है।