- Hindi News
- International
- Experts Believe That If You Distribute Responsibilities Equally During Family Vacation, There Will Be No Tension, If You Give Importance To Everyone, Then The Moments Will Be Memorable.
7 घंटे पहलेलेखक: पाउला स्पान
- कॉपी लिंक
दो-तीन पीढ़ियां साथ छुटि्टयों पर जाएं, तो सबकी पसंद पर ध्यान दें
डेढ़ साल के बाद लोग अब कुछ हल्का महसूस कर रहे हैं। सुकून के लिए परिवार के सदस्यों के साथ घूमने-फिरने की योजना बना रहे हैं। बुजुर्गों को भी लंबे वक्त परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका मिल रहा है। खासकर बच्चे जब छोटे हैं, और सालभर से घरपर ही हैं, तो ऐसे अभिभावक थोड़ा आराम चाहेंगे। पर जब दो-तीन पीढ़ियां एक साथ छुटि्टयां मनाने जाए तो यह अहम हो जाता है कि किसी के ऊपर भी बोझ न हो। एक्सपर्ट्स और बड़े-बजुर्गों से समझिए ऐेसे में पारिवारिक छुटि्टयों को कैसे यादगार बना सकते हैं…
1. बातचीत के जरिए सदस्यों की अपेक्षाएं जान लें
छुटि्टयों से पहले सबकी अपेक्षाओं पर चर्चा कर लें। बोस्टन की एल्सी तार्बी कहती हैं कि हम माता-पिता के साथ छुटि्टयों पर गए। साथ में 3 साल का बेटा भी था। इसलिए पहले ही बात कर ली कि बच्चे को कब, कौन संभालेगा। एल्सी को कुछ वक्त अकेले बिताना था। उनके पति को वॉक करना था और पिता कयाकिंग के शौकीन है। मां प्रकृति से करीबी चाहती थीं। सभी ने अपने शौक पूरे किए, किसी को भी बोझ नहीं लगा।
2. तय करें, कौन किस चीज के लिए भुगतान करेगा
फैमिली वेकेशन में अक्सर बुजुर्ग ही खर्चा उठाते हैं। पर रिटायरमेंट के बाद ज्यादा खर्च से परेशानी हो सकती है। जैसे मॉर्गन परिवार पहले पूरा खर्च खुद उठाते थे। पर अब 20 सदस्य होने पर पांच हिस्सों में ये खर्च बंटता है। हर वयस्क जोड़ा छुट्टी के दौरान एक दिन खाना तैयार करना, सामान लाना और साफ-सफाई की जिम्मेदारी लेता है। समाजशास्त्री मेडोना मेयर कहती हैं साझा जिम्मेदारी उठाने से किसी को तनाव नहीं होता।
3. बच्चों के फैसलों की आलोचना न करें बुजुर्ग
पैरेंटिंग एक्सपर्ट सैली टैनन कहती हैं कि आज की पीढ़ी अपने बच्चों के लिए खुद कायदे बनाती है। ऐसे में उनकी आलोचना से बचना चाहिए। 70 साल के मैरी बोरिया बताती हैं कि छुटि्टयों के दौरान मेरी दोनों बेटियां पूरी जिम्मेदारी संभाल लेती हैं, मैं दखल नहीं देती। ऐसे ही वेरमॉन्ट निवासी टैनन दंपती नातियों की देखभाल करते हैं, तो बेटी हिदायत देती है कि आइस्क्रीम ज्यादा न दें। वो बेटी की बात पर पूरी तरह ध्यान देते हैं।
4. अपनी बात विनम्रता से रखें, ताकि बुरा न लगे
रोजी कैंटू बोलिवर आइलैंड पर पोते-पोतियों के साथ छुटि्टयों पर जाती हैं तो नियम तय है कि दोपहर को वे आराम करती हैं। इस दौरान बच्चे गेम खेलते हैं। टेम्पल यूनिवर्सिटी में मनोवज्ञानिक कैथरीन पासेक कहती हैं कि हर पल बच्चों पर ध्यान देना जरूरी नहीं है। मॉर्गन दंपती बच्चों से कहते हैं कि एक शाम घूमने चले जाओ नातियों को हम देख लेंगे। रोज नहीं देखेंगे, इसे सकारात्मक कहने का यह विनम्र तरीका है।