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12वीं का एक्सीडेंटल रिजल्ट:फर्स्ट डिवीजन वाले साढ़े 12 हजार स्टूडेंट्स को ही ग्रेजुएशन में एडमिशन नहीं मिल पाएगा, क्या करेंगे सैकंड और थर्ड डिवीजन वाले छात्र

बीकानेर39 मिनट पहले

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18 साल भी बाद भी एमजीएस विवि की पहचान सिर्फ परीक्षा कराने वाली यूनिवर्सिटी की ही बनी है।  - Dainik Bhaskar

18 साल भी बाद भी एमजीएस विवि की पहचान सिर्फ परीक्षा कराने वाली यूनिवर्सिटी की ही बनी है। 

  • भास्कर एनालिसिस – सरकारी 12 काॅलेजाें में 8340 सीटें + प्राइवेट की 40 काॅलेजाें में करीब 8000 सीट यानी 16340 सीट…बीकानेर में 28708 स्टूडेंट्स तो सिर्फ फर्स्ट डिवीजन वाले हैं

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड के नतीजे घाेषित हाेते ही प्रदेशभर के काॅलेजाें ने प्रवेश के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। चिंता इस बात की है कि जिले में 28708 स्टूडेंट्स प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। लेकिन जिले भर के 13 गवर्मेंट काॅलेजाें में स्नातक में सीटें सिर्फ 8340 ही हैं। यानी करीब 20 हजार स्टूडेंंट काे गवर्नमेंट काॅलेजाें में एडमिशन नहीं मिलेगा।

जिले मेें छाेटे-बड़े प्राइवेट काॅलेज करीब 40 हैं। सरकार और यूनिवर्सिटी ने यहां 200 सीटें प्रत्येक काॅलेज काे आवंटित की हैं। अगर सभी 40 काॅलेजाें में 8000 सीटें भी भर ली जाती हैंं ताे भी गवर्नमेंट और प्राइवेट काॅलेज मिलाकर सिर्फ 16000 स्टूडेंट काे ही ग्रेजुएशन में एडमिशन मिलेगा। बावजूद इसके करीब साढ़े 12 हजार स्टूडेंट काे ना ताे प्राइवेट काॅलेज में एडमिशन मिलेगा और ना ही गवर्नमेंट काॅलेज में।

खास बात यह है कि जाे 12 हजार स्टूडेंट ग्रेजुएशन में एडमिशन से वंचित हाेंगे, वे जो माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण स्टूडेंट है। सैकंड या थर्ड डिवीजन पास स्टूडेंट्स काे प्राइवेट ही ग्रेजुएशन करनी हाेगी। सबसे ज्यादा चुनाैती आर्ट्स के स्टूडेंट काे मिलेगी क्याेंकि आर्ट्स में 23 हजार स्टूडेंट प्रथम श्रेणी में 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं लेकिन स्नातक में आर्ट्स की जिले भर के 12 काॅलेज में 5500 ही सीटें हैं। यानी सीधे-सीधे 18000 स्टूडेंट सरकारी काॅलेज में प्रवेश नहीं पा सकेंगे।

हर उपखंड मुख्यालय स्तर पर काॅलेज खुल गए हैं। इससे स्थानीय स्टूडेंट काे वहीं प्रवेश मिल सकता है। डूंगर-एमएस काॅलेज में भी सीटें बढ़ गई हैं। आठ हजार से ज्यादा जिले के स्टूडेंट काे सरकारी काॅलेजाें में एडमिशन मिल जाएगा। लड़िकयाें के लिए भी कई काॅलेज हाे गए। इससे एमएस काॅलेज पर भी दबाव कम हाेगा।
-डाॅ. जीपी सिंह, नाेडल प्राचार्य

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राहत: 1764 सीटें लड़कियाें के लिए आरक्षित: नाेखा, श्रीडूंगरगढ़ और एमएस काॅलेज में छात्राओं के लिए 1764 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा अन्य काॅलेजाें में भी छात्राएं प्रवेश ले सकती हैं। अच्छी बात यह है कि इस बार श्रीडूंगरगढ़ और नाेखा से छात्राओं काे ग्रेजुएशन करने के लिए बीकानेर नहीं आना हाेगा।

खाजूवाला, काेलायत, बज्जू, छत्तरगढ़ और देशनाेक में भी नए काॅलेज खुलने से इन काॅलेजाें में लड़काें के साथ लड़कियां भी प्रवेश ले सकती हैं क्याेंकि सभी काॅलेज काे-एड हैं। इस लिहाज से इस बार गर्ल्स एजुकेशन स्तर में ना सिर्फ सुधार हाेगा बल्कि उन्हें कॉलेज की दूरी के कारण पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ेगी।

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फर्स्ट डिवीजन वाले शेष 12 हजार स्टूडेंट के सामने विकल्प

12 हजार स्टूडेंट में कुछ पीएमटी, फाइव इअर लाॅ, आरपीवीटी, इंजीनियरिंग, बीफार्मा, बीसीए, बीबीए, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल, पाॅलिटेक्निक, आईटीआई समेत कुछ प्राेफेशनल काेर्स में जाएंगे। शेष बचेंगे वे सभी प्राइवेट के फार्म भरकर स्नातक करेंगे। एक सर्वे के मुताबिक करीब 20 प्रतिशत स्टूडेंट 12वीं के बाद पढ़ाई परिस्थितिवश छाेड़ देते हैं।

सरकार-यूनिवर्सिटी के सामने विकल्प : सरकार और यूनिवर्सिटी काॅलेजाें में कक्षाएं और सीटें बढ़ाकर छात्राें काे ज्यादा से ज्यादा प्रवेश दे सकते हैं। यूनिवर्सिटी प्राइवेट काॅलेजाें में प्रवेश की मियाद बढ़ाकर भी ज्यादा से ज्यादा प्रवेश दिला सकती है। अगर 20 हजार स्टूडेंट काे भी प्रवेश मिल जाए ताे शेष प्राेफेशनल काेर्स के ताैर पर कहीं ना कहीं प्रवेश पा सकते हैं।

सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट बाकी- उनकाे कहां खपाएंगे : ये हाल ताे राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड के नतीजे आने के बाद पैदा हुए हैं। अभी ताे सीबीएसई 12वीं कक्षा का परिणाम आना बाकी है। सीबीएसई का परिणाम आने पर प्रवेश के लिए ज्यादा मारामारी हाेगी। सरकार के सामने अब संकट यह है कि जिस औसत में 12वीं के स्टूडेंट पास आउट हाेकर आ रहे हैं उस औसत में स्नातक में सीटें नहीं है। यानी सरकारी स्तर पर प्रत्येक 12वीं के पासआउट स्टूडेंट काे स्नातक में प्रवेश के लिए एडमिशन देने की व्यवस्था नहीं है।

यूनिवर्सिटी की भूमिका ग्रेजुएशन करवाने में नहीं, सिर्फ परीक्षा कराने तक सिमटी

भले ही स्टूडेंट संख्या के मामले में महाराजा गंगासिंह विवि प्रदेश की दूसरी बड़ी यूनिवर्सिटी हाे लेकिन उसके पास ग्रेजुएशन कराने के लिए खुद का एक भी काॅलेज नहीं। कैंपस से लेकर लंबा चाैड़ा स्ट्रक्चर है। सारे साधन हैं। सुविधाएं हैं लेकिन स्नातक के स्टूडेंट के लिए सीधे यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए काेई माैका नहीं।

यूनिवर्सिटी बने 18 साल बीतने काे हैं लेकिन फाइव इअर लाॅ काे छाेड़ स्नातक करने के लिए यूनिवर्सिटी की भूमिका जीराे है। लंबे अर्से से यूनिवर्सिटी में खुद का कैंपस काॅलेज खाेलने की मांग उठ रही है। विवि एमएस और डूंगर काॅलेज काे संगठक काॅलेज बनाने की राह देख रही है लेकिन कैंपस काॅलेज खाेलने पर एक फाइल आगे नहीं बढ़ी। यूनिवर्सिटी चाहे ताे उच्च शिक्षा मंत्री के प्रयास से कैंपस काॅलेज की मंजूरी ले सकती है। 18 साल भी बाद भी एमजीएस विवि की पहचान सिर्फ परीक्षा कराने वाली यूनिवर्सिटी की ही बनी है।

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