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12 मिनट पहले
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तापमान में तीन डिग्री की बढ़ोतरी के नतीजे चिंताजनक होंगे।
जुलाई में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौसम के भयानक तूफानी तेवर देखने को मिले हैं। धरती की यह स्थिति उस समय है जब तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के दौर से 1.3 डिग्री अधिक गर्म है। अगर तापमान दो डिग्री बढ़ गया तो 42 करोड़ अतिरिक्त लोगों को प्रचंड गर्मी झेलनी पड़ेगी। आर्कटिक में बर्फ पूरी तरह खत्म हो जाएगी। तीन डिग्री बढ़ोतरी से अकल्पनीय विनाश होगा।
अगली सदी में भारत सहित कई देशों में औसत तापमान 3.5 से 4.5 डिग्री बढ़ जाएगा। विश्व की एक चौथाई आबादी को साल में एक माह तक सूखे का प्रकोप झेलना पड़ेगा। इसलिए पेरिस जलवायु समझौते में तापमान में केवल डेढ़ डिग्री बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा गया है। ग्रीन हाउस गैसों के प्रमुख उत्सर्जक अमेरिका ने 2050 और चीन ने 2060 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का वचन दिया है। फिर भी, इससे तापमान में बढ़ोतरी 2 डिग्री तक रहेगी। इस अनुमान में वे नीतियां शामिल हैं जिनकी घोषणा तो हो चुकी है पर उन्हें लागू नहीं किया गया है।
मौजूदा नीतियों से तापमान में बढ़ोतरी 2.9 डिग्री तक हो जाएगी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम-केट के अनुसार दुनिया में इस समय लागू नीतियों से तापमान में बढ़ोतरी 2.9 डिग्री तक हो जाएगी। केट और अन्य समूहों की गणना के मुताबिक अगर कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य पूरे किए गए तब भी तापमान में अधिकतम 1.9 और 3 डिग्री तक बढ़ोतरी के 68% आसार हैं।
तापमान में तीन डिग्री की बढ़ोतरी के नतीजे चिंताजनक होंगे। समुद्र और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से कम गर्म होंगे। दूसरी ओर उत्तर कनाडा, साइबेरिया,स्कैनडिनेविया सहित आर्कटिक क्षेत्र पर गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव होगा। अधिक आबादी वाले कुछ इलाकों में औसत से अधिक तापमान रहेगा। एक स्टडी के अनुसार रूस, चीन और भारत में औसत तापमान क्रमश: 4.5, 3.5 से 4.5 और 3.5 डिग्री बढ़ जाएगा।
इन इलाकों में भीषण गर्मी पड़ेगी
उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशिया के ऊंचाई वाले इलाकों में भीषण गर्मी पड़ेगी। अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण यूरोप, अमेरिका,मध्य अमेरिका में भयावह गर्मी को दौर दो से पांच साल के बीच आने लगेगा। अभी यह स्थिति सौ साल में एक बार बनती है। चीन में चावल, रूस में गेहूं उत्पादन बहुत कम हो जाएगा। तीन डिग्री तापमान बढ़ने से 18 करोड़ से अधिक अतिरिक्त लोग भुखमरी के दायरे में आ जाएंगे।