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पेगासस फोन जासूसी केस में बड़ा दावा:पूर्व CJI गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट स्टाफर भी लिस्ट में शामिल; राहुल और प्रशांत किशोर के फोन भी टारगेट थे

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नई दिल्ली9 घंटे पहले

देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व स्टाफर भी फोन हैकिंग केस में टारगेट थी। द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टाफर के तीन फोन नंबर पर निगरानी रखी गई थी। इसके लिए अज्ञात भारतीय एजेंसी ने इजराइली स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया था। पेगासस बनाने वाले कंपनी NSO ग्रुप के संभावित ग्राहकों की लिस्ट में इस भारतीय एजेंसी का नाम है।

इधर, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इजरायली स्पायवेयर के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के फोन भी हैक किए गए थे। रविवार रात को द वायर की तरफ से जारी रिपोर्ट के अगले हिस्से में इसका खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस ने संसद में पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की। पार्टी ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग भी की है।

कोर्ट की स्टाफर को 2018 में नौकरी से निकाला
जिस स्टाफर के नंबर टारगेट किए गए थे, उसे सर्विस से दिसंबर 2018 में निकाल दिया गया था। इसके एक हफ्ते बाद उसने आरोप लगाया था कि CJI की हरकतों का विरोध करने पर ऐसा किया गया। 20 अप्रैल को स्टाफर ने एक एफिडेविट के जरिए अपने आरोप दर्ज कराए थे। फ्रांस के नॉन प्रॉफिट फॉरबिडन स्टोरी मीडिया के पास उनकी लिस्ट है, जिन्हें टारगेट बनाया गया।

CJI पर आरोप लगाने के बाद बनी टारगेट
फ्रांसीसी मीडिया ने कहा है कि CJI पर आरोप लगाने के बाद ही इस स्टाफर को टारगेट की लिस्ट में शामिल कर लिया गया था। जो लीक रिकॉर्ड फ्रांसीसी मीडिया के पास हैं, उनके मुताबिक महिला से जुड़े 3 नंबरों के अलावा उसके पति और दो भाइयों के 8 नंबरों को भी मार्क किया गया था। इन नंबरों को भी उसी हफ्ते सर्विलांस के लिए संभावित कैंडिडेट्स में शामिल किया गया था।

महिला से जुड़े 11 नंबर जासूसी प्रोजेक्ट में शामिल
रिपोर्ट के मुताबिक, महिला स्टाफर से जुड़े 11 नंबर पेगासिस के जासूसी के प्रोजेक्ट में शामिल किए गए थे। भारत में ये किसी एक मामले से जुड़े सबसे ज्यादा नंबर थे। जासूसी की लिस्ट में महिला स्टाफर का शामिल होना और उसे चुने जाने का वक्त बताता है कि उसे और उसके परिवार वालों को लिस्ट में इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि उसने सार्वजनिक तौर पर भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। इससे ये भी साबित होता है कि अनुचित रूप से दखल देना और गलत तरीके से निगरानी रखना ऐसे हालात में काफी रूटीन हो चला था, जबकि ऐसी कोई पब्लिक इमरजेंसी या भी नेशनल सिक्युरिटी का खतरा भी नहीं मौजूद था।

रिपोर्ट में दावा- सरकार के मंत्री भी हैकिंग के दायरे में
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि न सिर्फ कांग्रेस के नेता बल्कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल और संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के फोन भी हैकिंग टारगेट थे। रिपोर्ट में जिन नामों का जिक्र किया गया है, उनमें से प्रमुख लोग ये हैं..

1. विपक्ष के नेता राहुल गांधी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के फोन भी इस लिस्ट में शामिल थे। 2. संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का नाम भी इस लिस्ट में शामिल था। 3. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी इस लिस्ट में बताया गया है। उन्होंने ही 2004 में मोदी की ब्रांडिंग की थी। 4. पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है, जिन्होंने 2009 के चुनाव में मोदी-शाह के खिलाफ हुई शिकायत पर चुनाव आयोग के फैसले से असहमति जताई थी।

विदेशों में भी हुई पत्रकारों की जासूसी
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की जासूसी कराई, जो सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी दिए गए हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 38 का है

किस देश में कितने पत्रकारों पर नजर

  • अजरबैजान – देश में दमन और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले कम से कम 48 पत्रकारों पर सरकार निगरानी रख रही है।
  • मोरक्को – सरकार के भ्रष्टाचार और मानव अधिकार उल्लंघन की आलोचना करने वाले कम से कम 38 पत्रकार निगरानी सूची में हैं।
  • UAE – फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटर और द वॉल स्ट्रीट जर्नल के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर समेत कम से कम 12 पत्रकारों की निगरानी की जा रही है।
  • भारत – देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों समेत 38 पत्रकारों की निगरानी की जा रही थी।
  • इनके अलावा मैक्सिको, हंगरी, बेहरीन, काजिकिस्तान और रवांडा में भी सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी कराई।

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