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- MLA Laxman Singh Said On The Launch Of The Book On Environment – If The Book Was Written On Digvijay Singh, It Would Have Sold More
मध्य प्रदेश13 घंटे पहले
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को दिग्विजय सिंह के भाई एवं चाचौड़ा से विधायक लक्ष्मण सिंह की पर्यावरण पर लिखी किताब का विमोचन किया। इस अवसर पर कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा कि यदि यह किताब दिग्विजय सिंह पर लिखी होती तो सबसे ज्यादा बिकती। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मेरा पसंदीदा विषय है। मैं खुद पर्यावरण मंत्री रह चुका हूं। इसलिए इसकी अहमियत जानता हूं। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते अल्प समय में ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर याेजनाएं बनाई थी। अगली बार सरकार आने पर इन योजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा।
कमलनाथ के निवास पर हुए साधे कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सासंद दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बक्सवाहा में जंगल की कटाई हो रही है। पर्यावरण के नजरिए से यह चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मैने यह जानकारी निकाली थी कि प्रदेश में कितनी नदियां और तालाब सूख गए हैं। इन्हें फिर से जीवित करने की जरुरत है। दिग्विजय ने कहा कि अगली बार सरकार आने पर इस पर गंभीरता से काम किया जाएगा।
BSP के 14 पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल
कमलनाथ की मौजूदगी में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 14 पदाधिकारियों ने कांग्रेस की सदस्यता ली। कांग्रेस नगरीय निकाय के साथ अगले विधानसभा चुनाव चुनाव की तैयारी कर रही है। ग्वालियर-चंबल के बीएसपी पदाधिकारियों को कांग्रेस में शामिल कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के कारण इस इलाके में अपनी जमीन नए सिरे से तैयार कर रही है।
जानकार मानते हैं कि दलित वोटर्स परंपरागत तौर पर कांग्रेस और बसपा के बीच बंटे हुए हैं। ऐसे में प्रदेश में बसपा का कमजोर होने का सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा और बीजेपी को कई सीटों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल सकती है। यही वजह है कि कांग्रेस की कोशिश है कि राज्य में बसपा कमजोर हो ताकि दलित वोटर्स उनके पाले में चले जाएं।
बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र में प्रभाव
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल के बाद बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में दलित मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं। यहां बसपा को 15% के करीब वोट मिलते रहे हैं। प्रदेश की बात करें तो राज्य में बसपा का वोट प्रतिशत करीब 10% है। ऐसे में कमलनाथ और कांग्रेस की कोशिश है कि इस वोटबैंक को अपने पाले में किया जाए। यही वजह है कि बड़ी संख्या में बसपा नेताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जा रही है।