April 20, 2024 : 2:03 PM
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PUBG मामलाः मां को मार डालने वाले बेटे ने पुलिस को क्या बताया.

पश्चिम बंगाल के आसनसोल में सेना में जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर के पद पर तैनात नवीन कुमार सिंह अभी एक महीने पहले ही दो मई को छुट्टी से वापस ड्यूटी पर पहुंचे थे. उन्हें अंदेशा भी नहीं था कि इतनी जल्दी घर वापसी पत्नी की मौत की खबर से करनी होगी.

लखनऊ के पीजीआई क्षेत्र के पंचमखेड़ा स्थित यमुनापुरम कॉलोनी में इनकी पत्नी अपने बेटे और बेटी के साथ रहती थीं. इनके 17 वर्षीय बेटे ने चार जून की रात में करीब दो-तीन बजे पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी.

इस घटना के बारे में ख़ुद बेटे ने 7 जून की पिता को फ़ोन कर जानकारी दी. घटना के तीन दिनों तक अभियुक्त अपनी 10 वर्षीय बहन के साथ उसी घर में रहा. जब शव की बदबू बर्दाश्त से बाहर हुई तब उसने अपने पिता को सूचना “बच्चे को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है. अभी लीगल प्रासेस चल रहा है.”

पुलिस के मुताबिक़ बच्चे के पिता का कहना है कि इसे गेम खेलना और लड़कियों से चैट करने की बहुत आदत थी. मम्मी उसे यह सब करने से मना करती थीं. मोबाइल के इस्तेमाल पर पाबंदी उसे पसंद नहीं थी.वहीं बच्चे ने पुलिस को बताया कि ‘मुझे हर बात के लिए ब्लेम किया जाता था मेरी ग़लती हो या न हो. मैं खेलने भी जाता था तो भी माँ शक करती थी’.

कासिम आब्दी कहते हैं, “बच्चा पहले भी घर से कई बार भाग चुका था. उसका स्वभाव बाकी बच्चों से थोड़ा तो अलग है. घटना के बाद से अभी बच्चे का व्यवहार एकदम सामान्य है उसे लगता है उसने जो किया है वो एकदम सही किया है. मेरे सामने का यह अबतक पहला ऐसा केस है पर कोविड के समय मोबाइल एडिक्शन के मामले हमारे सामने बहुत आये हैं.”

इस केस में केजीएमयू के पूर्व मनोचिकित्सक डॉ कृष्ण दत्त बीबीसी को बताते हैं, “कुछ बच्चों का स्वभाव ऐसा होता है जिन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होता है इसे पुअर इम्पल्स कंट्रोल कहते हैं. ऐसे बच्चे बहुत कुछ साज़िश बनाकर कोई कदम नहीं उठाते बल्कि आवेश में आकर ऐसा करते हैं. कई बार ये छोटे भाई-बहनों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.”

वे कहते हैं, “आजकल इस तरह की घटनाओं की मुख्य वजह एकल परिवार हो गए हैं. पहले संयुक्त परिवार में बच्चे सबसे बात करते थे और परिवार के सदस्यों के साथ ही विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रहते थे लेकिन अब इनकी दुनिया मोबाइल और टीवी हो गयी है. एकल परिवार में अगर माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं तो बच्चे बहुत अकेले पड़ जाते हैं. ऐसे बच्चों को अपनी बात ज़ाहिर करने का मौका ही नहीं मिलता है. इस स्थिति में बच्चे को मोबाइल की लत हो जाती है. ऐसे बच्चों का नतीजा आपके सामने हैं.”

कासिम आब्दी कहते हैं, “बच्चा पहले भी घर से कई बार भाग चुका था. उसका स्वभाव बाकी बच्चों से थोड़ा तो अलग है. घटना के बाद से अभी बच्चे का व्यवहार एकदम सामान्य है उसे लगता है उसने जो किया है वो एकदम सही किया है. मेरे सामने का यह अबतक पहला ऐसा केस है पर कोविड के समय मोबाइल एडिक्शन के मामले हमारे सामने बहुत आये हैं.”

इस केस में केजीएमयू के पूर्व मनोचिकित्सक डॉ कृष्ण दत्त बीबीसी को बताते हैं, “कुछ बच्चों का स्वभाव ऐसा होता है जिन्हें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होता है इसे पुअर इम्पल्स कंट्रोल कहते हैं. ऐसे बच्चे बहुत कुछ साज़िश बनाकर कोई कदम नहीं उठाते बल्कि आवेश में आकर ऐसा करते हैं. कई बार ये छोटे भाई-बहनों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.”

वे कहते हैं, “आजकल इस तरह की घटनाओं की मुख्य वजह एकल परिवार हो गए हैं. पहले संयुक्त परिवार में बच्चे सबसे बात करते थे और परिवार के सदस्यों के साथ ही विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रहते थे लेकिन अब इनकी दुनिया मोबाइल और टीवी हो गयी है. एकल परिवार में अगर माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं तो बच्चे बहुत अकेले पड़ जाते हैं. ऐसे बच्चों को अपनी बात ज़ाहिर करने का मौका ही नहीं मिलता है. इस स्थिति में बच्चे को मोबाइल की लत हो जाती है. ऐसे बच्चों का नतीजा आपके सामने हैं.”

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