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काम की बात:MSME लोन का लेना चाहते हैं फायदा तो थोक और खुदरा विक्रेता ऐसे करा सकते हैं अपना रजिस्ट्रेशन

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  • Msme Loan ; If You Want To Take Advantage Of MSME Loan, Then Wholesalers And Retailers Can Get Their Registration Done Like This

नई दिल्ली7 घंटे पहले

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रिटेलर्स और होलसेलर्स (थोक और खुदरा व्यापारी) अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत आसानी से लोन ले सकते हैं। केंद्र सरकार ने इसी महीने की शुरुआत में थोक और खुदरा व्यापारियों को MSME दायरे में लाने का ऐलान किया था। इसके लिए उन्हें उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने रिटेल MSME को उद्यम (व्यवसाय) आधार रजिस्ट्रेशन के लिए हेल्प डेस्क तैयार की है। आइए जानते हैं ये रजिस्ट्रेशन कैसे होगा…

ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

  • MSME की साइट msme.gov.in पर जाएं।
  • ऑनलाइन सर्विसेस के तहत उद्यम रजिस्ट्रेशन चुनें।
  • जो MSME रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ईएम-टू वाले हैं उसे चुनें।
  • फॉर्म में आवश्यक जानकारी भरें और जरूरी डॉक्यूमें सबमिट करें।

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी जानकारी देनी होगी

  • संस्था व उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का पैन
  • जीएसटी नंबर
  • आधार नंबर
  • प्रोपराइटरशिप फर्म/पार्टनरशिप/ सोसायटी/ ट्रस्ट और उनके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के विवरण
  • व्यवसाय के पते का प्रमाण
  • उद्यमिता और ऊपर उल्लिखित लोगों के ईमेल पते, मोबाइल नंबर
  • प्लांट/स्टोर, पंजीकृत कार्यालय का पता
  • बैंक का विवरण: खाता, आईएफएससी कोड (कैंसिल चैक)
  • अन्य जानकारी जैसे सामाजिक कैटेगरी, बिजनेस गतिविधि कोड, कर्मियों की संख्या।

ध्यान दें

  • उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करते समय, एक NIC कोड सबमिट करने की जरूरत है। होलसेल और रिटेल ट्रेड के लिए कैटेगरी 45,46 और 47 हैं।
  • MSME सर्टिफिकेट फॉर्म जमा होने के 1-2 कार्यालयीन दिनों में जारी होगा।
  • MSME रजिस्ट्रेशन और MSME सर्टिफिकेट निशुल्क जारी होगा।
  • कम सिबिल स्कोर, लोन डिफाल्ट, इत्यादि के चलते रजिस्ट्रेशन अस्वीकृत हो सकता है।

इसी महीने सरकार ने किया था ऐलान
मोदी सरकार ने इसी महीने थोक और खुदरा व्यापारियों को MSME दायरे में लाने का ऐलान किया था। इसके अनुसार अब थोक और खुदरा व्‍यापारी अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत आसानी से लोन ले सकेंगे। सरकार के फैसले से लगभग ढाई करोड़ खुदरा और थोक व्‍यापारियों को फायदा होगा। MSME के दायरे में थोक और खुदरा व्यापार को लाने से इनके कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा।

क्या है MSME की परिभाषा?

  • सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत MSME की परिभाषा में बदलाव किया है। इसमें निवेश और टर्नओवर, दोनों को आधार पर बनाया गया है, जबकि पहले सिर्फ पूंजी निवेश का आधार था। अभी एक करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और पांच करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते हैं।
  • इसके अलावा 10 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते हैं। 50 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 250 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते हैं। अब उनको मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर नहीं बांटा गया है।
  • पुराने वर्गीकरण के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 25 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते थे। पांच करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। 10 करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते थे।
  • इसी तरह, सर्विसेज सेक्टर में 10 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। दो करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज माने जाते थे। पांच करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज कहलाते थे।

MSME को मिलते हैं कई फायदे

  • व्यापारियों को MSME बनने से कई तरह के फायदे मिलेंगे। वे अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के हकदार हो गए हैं। इस तरह की लेंडिंग में रेगुलर लोन से एक-डेढ़ पर्सेंट तक कम ब्याज पर लोन मिलता है।
  • जानकारों के मुताबिक, व्यापारी अब किसी तरह की सिक्योरिटी दिए बिना ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के तहत लोन ले सकेंगे। मुद्रा लोन तीन कैटेगरी में से शिशु मुद्रा योजना में 50 हजार रुपए तक, किशोर योजना में 50 हजार रुपए से 5 लाख रुपए और तरुण योजना में 10 लाख रुपए तक दिए जाते हैं।
  • MSME को प्राइम मिनिस्टर्स एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत नया उद्यम शुरू करने के लिए बिना सिक्योरिटी लोन मिलता है। इसमें आवेदक को अपनी तरफ से 10% लगाना पड़ता है और शहरी इलाकों के लिए 15% जबकि ग्रामीण इलाके के लिए 25% की सब्सिडी होती है।
  • MAT क्रेडिट को 10 साल के बजाय 15 साल तक कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा मिलती है। उनको पेटेंट रजिस्ट्रेशन फीस पर 50% की सब्सिडी मिलती है। वे इंडस्ट्रियल प्रमोशन सब्सिडी के भी हकदार बन जाते हैं।
  • वेंडर से बकाया मिलने में देरी होने पर आरबीआई के इंटरेस्ट रेट का तिगुना चक्रवृद्धि ब्याज वसूल करने का अधिकार मिलता है। उन्हें बिजली बिल में भी रियायत मिलती है। ISO सर्टिफिकेशन चार्ज वापस मिल जाता है। उनको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी में ब्याज पर एक फीसदी की छूट मिलती है। MSME बनने पर सरकारी टेंडर मिलने में आसानी होती है, क्योंकि उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल सरकारी ई-मार्केट और दूसरे सरकारी पोर्टल से इंटीग्रेट होता है।
  • CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड्स ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज) के तहत MSME बिना सिक्योरिटी दो करोड़ रुपए तक लोन ले सकते हैं। देनदार के लोन नहीं चुकाने की स्थिति में उसका 85% तक का लोन चुकाने की गारंटी सरकार देती है।
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