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आकाशीय बिजली गिरने से 75 लोगों की मौत:बादलों के टकराने पर बनती है बिजली, मौत का सबसे ज्यादा खतरा खुले मैदान में; जानिए बिजली गिरने से कब-कब मौतें होती हैं और कैसे बचें

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3 घंटे पहले

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उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में बिजली गिरने से 75 लोगों की मौत हो चुकी है। पीएम मोदी ने इन मौतों पर संवेदना व्यक्त की है। अब तक सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। ऐसे मामलों पर 2019 में आई रिपोर्ट कहती है, मौत के सबसे ज्यादा मामले बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश में देखे गए हैं।

आकाशीय बिजली क्यों गिरती है, मौत का खतरा कब ज्यादा होता है और इससे बचने की सबसे सुरक्षित जगह क्या है… जानिए इनके जवाब…

क्यों गिरती है आकाशीय बिजली
आसान भाषा में समझें तो आसमान में बादल होने पर ये आपस में टकराते हैं। बादलों में घर्षण होने पर इलेक्ट्रिकल चार्ज पैदा होता है और इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार होती है। यहां बिजली बनने के बाद कंडक्टर की तलाश करते हुए यह जमीन पर आ गिरती है और इंसान के लिए खतरा बढ़ता है।

बिजली गिरने पर कब-कितना खतरा

  • अमेरिकी नेशनल वेदर सर्विस (NWS) का कहना है, आकाशीय बिजली इंसान को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है। पहला, सीधा इंसान पर बिजली गिरना। हालांकि, ऐसे मामले कम होते हैं लेकिन खतरनाक होते हैं। यह जब होता है जब इंसान खुले मैदानी इलाके में होता है। मौत ज्यादातर ऐसे मामले में ही होती है।
  • दूसरी स्थिति में बिजली गिरने से होने वाली गर्माहट स्किन को जलाती है। यह बिल्कुल वैसे ही है, जैसे करंट लगने पर पूरे शरीर को झटका मिलता है। बारिश के दौरान जो लोग कहीं पेड़ या घर की आंड़ में रुक जाते हैं वो आकाशीय बिजली की ऐसी ही मार झेलते हैं। ऐसे ही मामले सबसे ज्यादा देखे जाते हैं।
  • देश की पहली एनुअल लाइटनिंग रिपोर्ट 2019-20 के मुताबिक, आकाशीय बिजली गिरने के सबसे ज्यादा मामले तब देखे गए, जब बारिश से बचने के लिए इंसान पेड़ के नीचे खड़ा था। भारत में 71 फीसदी मामले ऐसे ही थे। 25 फीसदी मामलों में सीधे आकाशीय बिजली गिरने से मौत हुई थी। 4 फीसदी मामलों में सीधे तौर पर इससे इंसान प्रभावित नहीं हुआ था।
  • NWS के मुताबिक, ऐसी जमीन जिसमें करंट फैला हो, वहां बिजली गिरने पर मौत और घायल होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जमीन में मौजूद करंट बड़े क्षेत्र में फैला रहता है। जमीन के सहारे दूर तक इसका असर दिखता है।

बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें जुलाई 2019 में हुईं
रिपोर्ट कहती है, बिजली गिरने से 2018 में 2357 और 2019 में 2876 मौतें हुईं। इससे सबसे ज्यादा मौतें बिहार (400), मध्य प्रदेश (400), झारखंड (334) और उत्तर प्रदेश (321) में हुईं। 25 से 31 जुलार्ह 2019 के बीच में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। इस दौरान देश में 4 लाख बार आकाशीय बिजी गिरी।

बिजली से खुद को ऐसे बचाएं

  • NWS के मुताबिक, आकाशीय बिजली से बचने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। फिर भी सबसे बेहतर होगा कि इस दौरान घर के अंदर रहें। बिजली की आवाज सुनते ही घर के अंदर चले जाएं।
  • नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, आकाश में बिजली गजरने पर मेटल, मैटेलिक पाइप, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, टीवी या केबल वायर और पानी को न छुएं। इनसे खतरा बढ़ता है क्योंकि ये कंडक्टर की तरह काम करते हैं।
  • कभी भी जमीन पर न लेटें क्योंकि सतह पर करंट तेजी से फैलता है। ऐसा होने पर बिजली गिरने का खतरा और भी बढ़ जाता है। सीधेतौर पर जमीन से जितना खुद को बचाएंगे उतना बेहतर है।
  • अपने हाथों को कानों पर रखें ताकि बादलों के गरजने की आवाज परेशान न कर सके। पैरों की एड़ी को जोड़कर रखें। ऐसा करने पर करंट लगने का खतरा कम हो सकेगा।

4 तरह के अलर्ट से समझें कब-कैसा खतरा रहता है
देश में मौसम विभाग (IMD) ही बारिश, बिजली और आंधी की भविष्यवाणी करता है। आंधी-बारिश कितनी तेज होगी, इसका अलर्ट अलग-अलग रंग से जोड़कर जारी किया जाता है। जैसे- ग्रीन, यलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट।

  • ग्रीन अलर्ट- इसका मतलब है कि कोई खतरा नहीं है।
  • यलो अलर्ट- सावधान रहने की जरूरत है, खतरा हो सकता है।
  • ऑरेंज अलर्ट- यह बताता है, खतरा है। इसलिए तैयार रहें।
  • रेड अलर्ट- मौसम बिगड़ने और भारी नुकसान का खतरा।
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