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- Gupt Navratri From 11th To 18th July, Good Health, Prosperity And Rain With Ghatasthapana In 3 Auspicious Yogas
एक घंटा पहले
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- इस बार गुप्त नवरात्र 8 दिन के, इनमें दस महाविद्या की आराधना से दूर होती है परेशानियां
आषाढ़ शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि में 11 जुलाई को गुप्त नवरात्र शुरू हो गए हैं। गुप्त नवरात्र की शुरुआत रविपुष्य, अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग में हुआ है। नवरात्र इस बार 8 दिन के हैं और इनका समापन 18 जुलाई को रवियोग और अबूझ मुहूर्त भड़ली नवमी के दिन हो रहा है। मां दुर्गा की आराधना करने से साधकों को स्वास्थ्य लाभ होने के साथ ही अच्छी बारिश भी होने के योग बन रहे हैं। इस बार नवरात्र में पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। क्योंकि नवरात्र की शुरुआत जहां पुष्य नक्षत्र में होगी, वहीं 18 जुलाई को रवियोग योग में नवरात्र का समापन होगा।
सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के योग से बारिश
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र ने बताया कि गुप्त नवरात्र के पहले दिन 11 जुलाई को सूर्योदय से ही सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इस दिन पुष्य नक्षत्र भी है। साथ ही नवरात्र के दिनों में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति से शुभ योग बनेंगे। जिससे इन दिन अच्छी बारिश होने की भी संभावना है। साधक गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा करेंगे।
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्या की आराधना
डॉ. मिश्र के मुताबिक आमतौर पर नवरात्र को हम दो ही चरणों में मनाते और पूजते हैं। एक चैत्र और दूसरे आश्विन। लेकिन दो नवरात्र और होते हैं आषाढ़ और माघ मास में। आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से शुरू हो गए हैं। नवरात्रि में जहां भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना होती है, वहां, गुप्त नवरात्र में देवी की दस महाविद्या की आराधना होती है। गुप्त नवरात्र की आराधना का विशेष महत्व है और साधकों के लिए यह विशेष फलदायक है।
नवरात्र और गुप्त नवरात्र की ये हैं देवियां
नौ दुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्याय नी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री।
10 महाविद्या : काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगुलामुखी, मातंगी और कमला।
10 महाविद्या और उनकी पूजा का फल
काली (समस्त बाधाओं से मुक्ति)
तारा (आर्थिक उन्नति )
त्रिपुर सुंदरी (सौंदर्य और ऐश्वर्य )
भुवनेश्वरी (सुख और शांति )
छिन्नमस्ता (वैभव, शत्रु पर विजय, सम्मोहन)
त्रिपुर भैरवी (सुख-वैभव, विपत्तियोंको हरने वाली)
धूमावती (दरिद्रता विनाशिनी)
बगुला मुखी (वाद विवाद में विजय, शत्रु पर विजय)
मातंगी (ज्ञान, विज्ञान, सिद्धि,साधना)
कमला (परम वैभव और धन)
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