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टीकाकरण: अमीर व गरीब देशों के बीच असमानता का जल्द हल नहीं निकला तो कोरोना से लड़ाई होगी मुश्किल

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: देव कश्यप Updated Sun, 11 Jul 2021 05:35 AM IST

वैक्सीन लगाने में युवाओं में भारी क्रेज – फोटो : अमर उजाला

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कोरोना से लड़ाई को मजबूती देने के लिए टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा वैक्सीन फॉर ऑल विषय पर शुक्रवार को आयोजित वेबिनार में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि कम आय वाले देशों में सिर्फ एक फीसदी आबादी को टीका लगा है। उच्च आय वाले देशों में ये दर 48.3 फीसदी है।

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वेबिनार में विशेषज्ञों ने स्पष्ट कहा कि टीकाकरण में असमानता की स्थिति को जल्द से जल्द हल नहीं किया गया तो कोरोना और उसके अलग-अलग वैरिएंट से लड़ाई में हार तय है। विशेषज्ञों के अनुसार पूरी दुनिया में अभी सिर्फ 24.7 फीसदी लोगों को ही टीके की एक डोज लगी है। वेबिनार में मौजूद दक्षिण अफ्रीका के विद्वाटर स्टैंड के वैक्सीनोलॉजिस्ट प्रो. शबीर ए मदही ने बताया कि टीकाकरण ही कोरोना वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय है। दुनिया के सभी देशों को संयुक्त रूप से टीकाकरण की ओर ध्यान देना होगा तभी सब वायरस से एकसाथ सुरक्षित हो सकते हैं।

नया वैरिएंट नई मुश्किल खड़ी करेगा
सीएसई की वैज्ञानिक और महानिदेशक डॉ. सुनीता नारायण ने कहा कि टीके की कमी टीकाकरण अभियान को पूरी तरह से बेपटरी कर सकती है। एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में 550 करोड़ वयस्क आबादी को टीका लगना है। इसमें से 332 करोड़ वयस्कों को पहले ही टीका लग चुका है। बचे हुए लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाना होगा नहीं कोरोना का नया वैरिएंट नई मुश्किल खड़ी कर सकता है।

कोवाक्स के तहत टीकाकरण धीमा
विशेषज्ञों ने बताया कि कोवाक्स के तहत 180 देशों की भागीदारी है जिसमें संपन्न देश टीके के लिए पैसा दे रहे हैं। 92 कम आय वाले देशों को कम दर पर टीका मुहैया कराया जा रहा है। पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोवाक्स को टीके की 100 करोड़ डोज मुहैया कराई है। हालांकि बाद भारत में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद में सीरम इंस्टीट्यूट की टीके की आपूर्ति व्यवस्था लड़खड़ा गई है।

लापरवाही से रफ्तार पकड़ेगी महामारी
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में डेल्टा वैरिएंट चिंता का सबसे बड़ा कारण है। इसके मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि बेहतर की उम्मीद है कि दुनियाभर में संक्रमण से मौतों का आंकड़ा घट रहा है, लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जहां संक्रमण रफ्तार पकड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर लापरवाही महामारी को फिर से रफ्तार पकड़ने का मौका दे सकती है।

दक्षिण अफ्रीका बना वैली ऑफ डेथ
प्रो. शबीर मदही ने बताया कि अफ्रीका में कोरोना तेजी के साथ फैल रहा है। काफी मामले ऐसे हैं जिनका पता नहीं चला है। मौतों की संख्या भी लगातार बढ़ रहा है और इसे वैली ऑफ डेथ कह सकते हैं। मौतों का ग्राफ बढ़ने के दो कारण है, पहला बीमारी का तेजी से बढ़ना और इलाज की समुचित व्यवस्था का न होना, दूसरा जरूरी दवाओं के साथ टीके की आपूूर्ति न  होने के चलते अफ्रीका मौत का अड्डा बन रहा है।

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