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Hindi NewsBusinessConsumer Court Imposed Rs 1500 Fine On Retailer Over Charging Consumers For Carry bags
मुंबई10 मिनट पहले
कॉपी लिंकपैसे का पेमेंट शिकायत की तारीख से 30 दिनों के भीतर किया जाएफोरम ने रिटेलर की सभी दलील को खारिज कर दिया
गुजरात की एक कंज्यूमर कोर्ट ने एक रिटेलर पर 1500 रुपए का जुर्माना लगाया है। रिटेलर ने ग्राहक को कैरी बैग देने के लिए 10 रुपए लिया था। इसी पर ग्राहक ने कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत की थी। रिटेलर पर ब्याज भी लगाया गया है।
फ्री में नहीं मिलता है कैरी बैग
आमतौर पर हर रिटेलर या शॉपिंग मॉल या फिर कोई भी बड़ी दुकान ग्राहकों को कैरी बैग फ्री में नहीं देती है। ये ग्राहकों से 10 से 15 रुपए तक का चार्ज लेते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि कैरी बैग के लिए दुकान इस तरह का चार्ज नहीं ले सकती है। जिस रिटेलर पर जुर्माना लगाया गया है, वह मल्टी ब्रांड क्लोदिंग रिटेलर है। उसने एक ग्राहक को एक कैरी बैग के लिए 10 रुपए लिया था।
8% ब्याज के साथ लौटाया जाए पैसा
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (अहमदाबाद ग्रामीण) के अध्यक्ष जे जे पंड्या ने रिटेलर से यह भी कहा कि वह 8% ब्याज के साथ शिकायतकर्ता मौलिन फाडिया को कैरी बैग पर लगाए गए 10 रुपए वापस करे। कंज्यूमर कोर्ट ने 29 जून को दिए अपने आदेश में ग्राहक को मानसिक उत्पीड़न देने के लिए 1000 रुपए और कानूनी फीस के लिए 500 रुपए का पेमेंट करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रिटेलर से कहा कि उक्त पेपर बैग पर लिए गए पैसे का पेमेंट शिकायत की तारीख से 8% ब्याज के साथ 30 दिनों के भीतर किया जाए।
2,486 रुपए की सामान खरीदी थी
शिकायतकर्ता के मुताबिक, उन्होंने एक नेशनल रिटेल ब्रांड के स्टोर से 2,486 रुपए की चीजें खरीदी थीं। ग्राहक यह जानकर हैरान रह गया कि उससे बैग के लिए 10 रुपए चार्ज किए गए थे। इस बैग पर ब्रांड की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारियाँ छापी गई थी। शिकायतकर्ता को लगा कि उस पर गलत तरीके से पेपर बैग के लिए पैसा चार्ज किया गया है। इसलिए उसने रिटेलर को मानसिक उत्पीड़न के लिए 25,000 रुपए और उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने के लिए 25,000 रुपए का पेमेंट करने की मांग कंज्यूमर फोरम में किया था।
कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है
रिटेलर का तर्क था कि ग्राहकों को कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। ये मुफ्त में नहीं आते हैं और इसकी स्पष्ट रूप से कैश काउंटरों पर नोटिस चिपकाई गई है। इसके लिए शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि जब खरीद की गई थी तो नोटिस नहीं था और हो सकता है कि बाद में रखी गई हो। हालांकि कंज्यूमर फोरम ने रिटेलर की इस दलील को खारिज कर दिया और उसे जुर्माना का पेमेंट करने का आदेश दे दिया।
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