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कैलाश खेर का 48 वां जन्मदिन:म्यूजिक के लिए 12 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर, कभी सुसाइड की भी कोशिश कर चुके थे कैलाश खेर

एक घंटा पहले

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आपको याद होगा कुछ सालों पहले टीवी और रेडियो पर जब ‘अल्लाह के बंदे हंस दे…’ गीत बजता था, तो हर कोई इस गीत को सुनने के लिए ठिठक जाता था और यह पूछे बिना नहीं रह पाता था कि इस गीत को किसने गाया या फिर यह किस फिल्म का है। जी हां, इसी गीत से कैलाश खेर को इंडस्ट्री में लोकप्रियता हासिल हुई, लेकिन यहां तक का सफर उनके लिए आसान नहीं रहा। कैलाश खेर ने मुंबई में मुफलिसी के दिन गुजारे और उनके जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया था जब वह सब कुछ गंवाने के बाद अपना जीवन समाप्त कर लेना चाहते थे।

सूफियाना अंदाज और अपने समकालीन गायकों से जुदा आवाज से लाखों दिलों पर राज करने वाले मशहूर गायक कैलाश खेर 7 जुलाई को 48 वर्ष के हो गए हैं। आज ही के दिन उत्तरप्रदेश के मेरठ शहर में कैलाश खेर का जन्म हुआ था।

पिता से ली संगीत की शिक्षा
मेरठ में जन्मे कैलाश खेर को संगीत विरासत में मिला है। उनके पिता पंडिम मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में ट्रेडिशनल फोक गाया करते थे। वह एक एमेच्योर म्यूजिशियन थे। कैलाश खेर ने बचपन में अपने पिता से ही संगीत की शिक्षा ली और यहीं से उनका पूरा फोकस म्यूजिक पर हो गया। अपनी गायकी से भले ही आज कैलाश खेर ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया हो, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी सफलता के पीछे नाउम्मीदी और कठिन संघर्ष भी छिपा हुआ है। एक दौर में कैलाश खेर अंदर से इतने टूट गए थे कि उन्हें जिंदगी को लेकर कुछ भी उम्मीदें बाकी नहीं रह गई थी। ‘रब्बा इश्क न होवे’ और ‘अल्ला के बंदे हंस दे..’ गीत से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने वाले कैलाश खेर ने बहुत कम समय में ही अपना मुकाम बना लिया, लेकिन अपने व्यवसाय में बड़ा नुकसान झेलने के बाद एक वक्त ऐसा भी आया था जब कैलाश खेर ने आत्महत्या करने का मन बना लिया था। यह बात खुद कैलाश खेर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी।

4 साल की उम्र से गा रहे हैं
4 वर्ष की उम्र में जब कैलाश खेर ने अपनी आवाज में अपने पिता के गीतों को गाना शुरू किया तो उनकी प्रतिभा को देखकर हर कोई दंग रह जाता था। महज 14 वर्ष की उम्र में गुरू की तलाश में वह अपने घर से निकल गए थे। कैलाश खेर क्लासिकल और फोक म्यूजिक की पढ़ाई करना चाहते थे। बकौल कैलाश- संगीत के प्रति मेरा जुनून इस कदर था कि मुझे इसके चलते परिवार से अलग रहकर भटकना पड़ा। उन्होंने दिल्ली में म्यूजिक क्लास ज्वाइन कर ली और वहीं शाम की शिफ्ट में 150 रुपए प्रति सेशन के हिसाब से बच्चों को म्यूजिक सिखाने को राजी हो गए, जिससे वह अपना खर्च चला सकें। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से पढ़ाई की और साथ ही संगीत भी सीखते रहे। संगीत भारती और गंधर्व महाविद्यालय जैसे संस्थानों से उन्होंने संगीत सीखा।

जानिए आखिर क्यों की थी कैलाश खेर ने सुसाइड की कोशिश
पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 1999 में कैलाश खेर हैंडीक्राफ्ट बिजनेस से भी जुड़े रहे। लेकिन अचानक इनको बिजनेस में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ, जिस वजह से इनका पूरा बिजनेस डूब गया। इस सदमे में आकर कैलाश ने एक बार आत्महत्या तक करने की कोशिश की थी।

घर से भागकर रहे थे साधु-संतों के साथ
कैलाश खेर ने लगभग 700 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज दी है। उनके गानों में भारतीय लोकगीत और सूफी संगीत की झलक है। वे लगभग 10 साल में विश्वभर में करीब 1000 म्यूजिक कॉन्सर्ट में परफॉर्म कर चुके हैं। कैलाश खेर ने 12 साल की उम्र में संगीत के प्रशिक्षण के लिए गुरू की तलाश में घर छोड़ दिया था। घर छोड़ने के बाद वह ऋषिकेश आकर बस गए और गंगा तट पर साधु संतों के साथ मिलकर भजन मंडली में हिस्सा लिया करते थे।

पहले गाने के लिए मिले थे 5 हजार रूपए
कैलाश खेर ने 2001 में मुंबई आकर अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद नक्षत्र डायमंड्स के लिए कैलाश खेर से जिंगल गाने के लिए कहा गया था। लेकिन बाद में वह जिंगल किसी और की आवाज में तैयार किया गया। हालांकि, उन्हें इस गाने के लिए 5 हजार रुपये जरूर दिए गए थे।

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