अमित शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Tanuja Yadav Updated Tue, 06 Jul 2021 02:42 PM IST
सार
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में उत्तर प्रदेश के चुनाव सहित देश के अन्य राज्यों के समीकरणों को भी साधने की कोशिश।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ। – फोटो : amar ujala
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विस्तार
भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने अमर उजाला को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार शीघ्र हो सकता है। इसमें दलित वर्ग की भूमिका बढ़ाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में दलित वर्ग का कोई सर्वमान्य बड़ा नेता नहीं रह गया है।
पार्टी मानती है कि बसपा नेता मायावती अब दलितों की एकछत्र नेता नहीं रह गई हैं। विकल्पहीनता के अभाव में दलित समाज एक बड़े नेतृत्व की आस लगाए बैठा है। पार्टी दलित समाज से एक बड़ा नेता उभारकर दलित वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर सकती है। संभावना है कि एक ब्राह्मण नेता को भी उत्तर प्रदेश से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इससे पार्टी से नाराज चल रहे ब्राह्मण वोट बैंक को पार्टी के साथ लाने की कोशिश हो सकती है।
रामविलास पासवान के देहावसान और थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बना दिए जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में दलित वर्ग की भागीदारी कमजोर हुई है। पार्टी इसे पूरा करने की कोशिश करेगी। माना जा रहा है कि इस कोटे में रामशंकर कठेरिया की किस्मत खुल सकती है जो आगरा से आते हैं। दलित वर्ग की बड़ी आबादी के कारण आगरा को दलित राजनीति की राजधानी कहा जाता है।
इसी के साथ लोक जनशक्ति पार्टी नेता और हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर दलित भागीदारी को बैलेंस करने की कोशिश की जाएगी। पार्टी का मानना है कि इससे यूपी के साथ-साथ बिहार में भी एक अच्छा संकेत जाएगा।