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- Supreme Court On IT Act: Over One Thousand Cases Registered In 7 Years Under Section 66A
नई दिल्ली2 घंटे पहले
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने सामने आई एक जानकारी को लेकर आश्चर्य जाहिर किया। NGO पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने कहा कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने IT एक्ट की जिस धारा 66A को खत्म कर दिया था, उसके तहत 7 साल में एक हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं।
PUCL से मिली जानकारी के बाद जस्टिस आर नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि ये हैरानी वाली बात है। हम नोटिस जारी करेंगे। ये गजब है। जो भी चल रहा है, वो भयानक है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में दिया था ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए IT एक्ट की धारा 66A को खत्म कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये कानून धुंधला, असंवैधानिक और बोलने की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है। इस धारा के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आक्रामक या अपमानजनक कंटेंट पोस्ट करने पर पुलिस को यूजर को गिरफ्तार करने का अधिकार था।
NGO ने कोर्ट से कहा- लोग परेशान हो रहे हैं, केंद्र से कहिए डेटा इकट्ठा करे
PUCL ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह केंद्र को इस संबंध में निर्देश दे। केंद्र सभी पुलिस स्टेशनों से कहे कि इस धारा के तहत केस दर्ज न किए जाएं। PUCL ने कहा, “देखिए, केस किस तरह बढ़ रहे हैं। लोग परेशान हो रहे हैं। केंद्र को निर्देश दीजिए कि वो इस कानून के तहत चल रही सभी जांच और केस के बारे में डेटा इकट्ठा करे। जो केस अदालत में पेंडिंग हैं। उनका डेटा भी इकट्ठा किया जाए।’
PUCL की ओर से वरिष्ठ वकील संजय पारीख ने कहा कि जब 2015 में 66A धारा को खत्म किया गया था, तब इसके तहत दर्ज 229 केस पेंडिंग थे। इस धारा को खत्म किए जाने के बाद से 1307 नए केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से 570 अभी भी पेंडिंग हैं, जबकि, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि 66A को खत्म किए जाने के आदेश की कॉपी हर जिला अदालत को संबंधित हाईकोर्ट के माध्यम से भेजी जाए। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यसचिवों को भी इसकी कॉपी भेजी जाए। इसके बाद यह जानकारी हर पुलिस स्टेशन में भी भेजी जाए। इन आदेशों के बावजूद पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किए जा रहे हैं और कोर्ट में ट्रायल भी चल रहे हैं