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- It Will Have To Be Applied In The Mouth For 90 Minutes, It Will Give The Result After Identifying The Breath
नई दिल्ली16 घंटे पहले
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कोरोना महामारी से अब भारत में कम मामले हैं। लेकिन इसका खतरा कम नहीं हुआ है। तीसरी लहर के आने की आशंका बनी हुई है। हालांकि देश में टीकाकरण अभियान ने गति पकड़ी है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वाइस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग की रिसर्च टीम ने बायोसेंसर टेक्नोलॉजी बनाई है। जिससे पहनकर पता लगाया जा सकता है। दरअसल ये एक फेस मास्क है। जो आपकी सांस से COVID-19 का पता लगाने में मदद कर सकती है।
PCR कोविड टेस्ट की तरह होगा
ये पहनने वाले बायोसेंसर KN95 फेस मास्क में लगाया गया है। ताकि यह पता लग सके कि किसी की सांस में वायरस है या नहीं। रिसर्च का कहना है कि आप एक बटन से सेंसर को एक्टिव कर सकते हैं। इसके बाद रीड आउट स्ट्रिप से पता चलता जाता है। यह रिजल्ट बताने में 90 मिनट का समय लेता है। इतना ही नहीं, इसकी एक्यूरेसी PCR कोविड टेस्ट की तरह होती है।
महंगे टेस्ट का पैसा भी बचेगा
वाइस इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च साइंटिस्ट और स्टडी में सहायता करने वाले पीटर गुयेन ने कहा कि टीम अब पूरे लैब को एक फेस मास्क में फिट करना चाहती है। इसमें लगे सिंथेटिक बायोलॉजी सेंसर्स किसी भी फेस मास्क के साथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं। ऐसे में इससे आप महंगे टेस्ट का पैसा भी बचा सकते हैं। गुयेन ने एक बयान में कहा फेस मास्क के अलावा, हमारे प्रोग्राम बायोसेंसर, वायरस, बैक्टीरिया, टॉक्सिन और केमिकल एजेंट्स पता लगाने के लिए दूसरे कपड़ों के साथ लगाए जा सकते हैं।
हानिकारक केमिकल मुंह में जाने से बचाएगा
इस फेस मास्क का इस्तेमाल केमिकल फैक्ट्री, गैस प्लांट या खतरनाक लैब्स में काम करने वाले कर सकते हैं। ऐसे में किसी में किसी खतरनाक केमिकल की गंध, धुएं को सीधे नाक और मुंह में जाने से बचाएगा। रिसर्चर ने कहा कि टीम अब ऐसे मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स की तलाश कर रही है जो बड़ी स्तर में इन मास्क को तैयार कर सकें, ताकि महामारी के दौरान जरुरत मंद लोगों को ये मास्क मिल सके।