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एक मामला ऐसा भी: बिना दिल के 555 दिन बिताने वाले शख्स की कहानी, एक दिन ऐसा भी आया जब कृत्रिम हार्ट ने 26 बार काम करना बंद किया

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Hindi NewsHappylifeMeet Stan Larkin Who Lived Without A Heart For 555 Days  Carried An Artificial One On His Back

17 घंटे पहले

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मिशिगन के रहने वाले स्टेन लार्किन की लाइफ चुनौतीभरी रही है। हार्ट डोनर के इंतजार में स्टेन ने 555 दिन बिना हार्ट के बिताए। इस दौरान सिंकआर्केडिया नाम की डिवाइस ने कृत्रिम हृदय की तरह काम किया। यह डिवाइस हर वक्त स्टेन के साथ रही। ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब इंसान के दिल के दोनों हिस्से काम करना बंद कर देते हैं।

16 साल की उम्र बीमारी का पता चलास्टेन का हार्ट इतनी बुरी स्थिति में पहुंच चुका है, इसका पता तब चला जब वो 16 साल के थे। एक दिन बास्केट बॉल खेलते समय अचानक गिर पड़े। हालत बेहद नाजुक हो गई। हॉस्पिटल में हुई जांच रिपोर्ट में सामने आया कि वो एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रीकुलर डिस्प्लेक्सिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। यह ऐसी बीमारी है जिसमें धड़कन अनियमित हो जाती हैं। कभी भी कार्डियक अरेस्ट हो सकता है, खासतौर पर एथलीट्स में। चूंकि स्टेन बास्केट बॉल प्लेयर रहे हैं इसलिए खतरा ज्यादा था।

पूरा परिवार हृदय रोगों से जूझ रहास्टेन अपने परिवार में अकेले नहीं हैं जो हृदय रोगों से जूझ रहे हैं। उनके भाई-बहन और दूसरे फैमिली मेम्बर्स कार्डियोमायोपैथी के मरीज हैं। यह दिल से जुड़ी ऐसी बीमारी है जिसमें हृदय की मांसपेशियां इसकी सख्त हो जाती हैं कि शरीर के हर हिस्से में ब्लड नहीं पहुंचा पाती। कार्डियोमायोपैथी के मामलों में हार्ट फेल होने का खतरा भी अधिक रहता है।

25 साल की उम्र में कृत्रिम हार्ट लगाया गया25 साल की उम्र तक स्टेन बीमार की गंभीर स्थिति में पहुंच गए। मौत का खतरा बढ़ रहा था। स्टेन को एक हार्ट डोनर की तलाश थी। डोनर मिलने तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ता।

इससे बचने के लिए स्टेन ने मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स से कृत्रिम हार्ट लगवाने का फैसला लिया। इसे एक पोर्टेबल बैग के रूप में पीठ पर रख दिया गया। ऐसी स्थिति में भी स्टेन ने अपना मनपसंद खेल बास्केटबॉल खेलना जारी रखा।

स्टेन कहते हैं, इसके लगाने बाद ऐसा समय भी आया जब ये 26 बार बंद हुआ और मुझे अपनी कार तक पहुंचने में मुश्किलें आईं।

2016 में हार्ट ट्रांसप्लांट किया गयास्टेन कहते हैं, जब हार्ट ने काम करना बंद किया तो मैंने कृत्रिम हार्ट का सहारा लिया। इसका वजन 6 किलो है। इसे लगाने के बाद मेरी लाइफ पहले की तरह खुशहाल हो गई।

स्टेन की सर्जरी करने वाले डॉ. जोनाथन हाफ्ट कहते हैं, स्टेन का भाई कार्डियोमायापैथी की बुरी स्थिति से गुजर रहा थे। आईसीयू में मेरी दोनों से मुलाकात हुई। मैं दोनों का हार्ट ट्रांसप्लांट करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। शरीर की बनावट में फर्क होने के कारण स्टेन के भाई डोमिनिक को कृत्रिम हार्ट नहीं लगाया जा सका। उसे 6 हफ्ते हॉस्पिटल में बिताने पड़े, इसके बाद उसका हार्ट ट्रांसप्लांट हो पाया।

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