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कहां को गए बदरा…:हवाओं ने बिगाड़ा MP का सिस्टम; राजस्थान, गुजरात के रास्ते हरियाणा और उत्तर प्रदेश चले गए बादल, एक और हफ्ता सूखा गुजरेगा

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इंदौर8 घंटे पहलेलेखक: राजीव कुमार तिवारी

मध्य प्रदेश में तय समय से चार दिन पहले 10 जून को मानसून ने दस्तक दे दी थी। दावा किया कि 20 जून तक यह पूरे प्रदेश को तरबतर कर देगा। जून खत्म होने जा रहा है। इसके बावजूद इंदौर सहित मालवा निमाड़ मायूस है। इस बार सबसे ज्यादा तरबतर सिंगरौली हुआ। सबसे कम बारिश मुरैना में हुई। इंदौर सहित मालवा निमाड़ के पांच जिलों में जून की सामान्य औसत बारिश भी नहीं हुई है। यह स्थिति क्यों बनी, मानसून कहां पर अटका है और आगे क्या स्थित रहेगी? इस पर दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट एचएल कपाड़िया से जानकारी ली।

सवाल- मानसून पहले आ गया तो बारिश क्यों नहीं हो रही है?

जवाब- मानसून ने 10 जून को मध्य प्रदेश में बैतूल, मंडला, छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट होते हुए दस्तक दी थी। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में सिस्टम एक्टिव होने से उस दौरान मानसून के आगमन में इंदौर, होशंगाबाद और जबलपुर संभाग भी शामिल था। इस बार अरब सागर में मजबूत सिस्टम बना, लेकिन हवा की गति दक्षिण-पश्चिम होने से यह मध्यप्रदेश की ओर न बढ़कर राजस्थान, गुजरात के रास्ते हरियाणा और यूपी की ओर शिफ्ट हो गया।

सवाल- बारिश पूरे प्रदेश में क्यों नहीं हो रही है, कहीं ज्यादा और कम क्यों है?

जवाब- अभी दक्षिण-पश्चिम हवाओं की रफ्तार मानसून के अनुकूल नहीं है। इस कारण छोटे-छोटे टुकड़ों में कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है और वहीं तक सीमित है। इसी कारण एक साथ बड़े क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही है।

सवाल- आगे क्या परिस्थितियां बन रही हैं, कब मानसून एक्टिव होगा?

जवाब- अभी बारिश के आसार दो सप्ताह तक तो नजर नहीं आ रहे हैं। एक सिस्टम जरूर अंडमान निकाेबार में सक्रिय हुआ है। उस सिस्टम से यहां तक बारिश का आना संभव नहीं लग रहा है। जुलाई का पहला सप्ताह तो ऐसे ही जाने का अनुमान है। हां, बीच-बीच में रिमझिम बारिश कहीं-कहीं होती रहेगी।

सवाल- इसके पहले ऐसी स्थिति कब बनी थी?

जवाब- आंकड़ों पर जाएं तो पता चलता है कि 2011 और 2012 में जून में इंदौर में मानसून ने तो दस्तक दे दी, लेकिन इसके बाद जून में बारिश नहीं हुई। बारिश का सिलसिला इन दोनों वर्षों में जुलाई से ही शुरू हुआ। ऐसी ही स्थिति 2014 में भी रही। 2015 से लगातार जून इंदौर को भिगोता रहा। हालांकि इस बार बारिश तो हुई, लेकिन उतनी नहीं की औसत तक पहुंचे या उसे पार कर जाए।

MP में किन इलाकों में कम बारिश

मालवा निमाड़ और ग्वालियर चंबल ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बारिश ने मेहरबानी नहीं दिखाई। इंदौर की बात करें तो 1 जून से 27 जून तक केवल 79 MM बारिश हुई है जबकि यहां अब तक सामान्यत: 130 MM बारिश होनी चाहिए थी। इसके बाद ग्वालियर का नंबर आ रहा है। यहां पर 34 MM बारिश हुई है। मुरैना में सबसे कम 33 MM पानी गिरा है। चार बड़े शहरों में इंदौर और ग्वालियर संभाग को बारिश का इंतजार है।

सबसे ज्यादा बारिश कहां

मध्य प्रदेश में पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश के आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा बारिश सिंगरौली में हुई है। यहां पर 322 MM बारिश हुई है। वहीं, 300 प्लस में नरसिंहपुर भी शामिल है। यहां पर 314 MM बारिश हुई है। वहीं, भोपाल में आंकड़ा 285 MM बारिश हो चुकी है। जबकि यहां अब तक औसत बारिश 98 MM होनी थी। जबलपुर में 120 MM की जगह अब तक 155 MM हो चुकी है। ग्वालियर की बात करें तो 34 MM हुई है जबकि यहां पर 54 MM बारिश होनी थी।

जून खत्म होने में दो दिन शेष, इंदौर में औसत बारिश से पीछे

मौसम विभाग के अनुसार, इंदौर में अब तक औसत 79 MM बारिश हुई है। सामान्य से 50 MM पानी अब तक कम गिरा है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के SSP ऑफिस व कृषि कॉलेज में लगे वर्षामापी यंत्र ने अब तक साढ़े 5 इंच तक बारिश पूर्वी शहर में रिकॉर्ड की है। इसका मतलब है कि रीगल से बाइपास तक के हिस्से में औसत पानी बरस चुका है। पिछले साल पूर्व और पश्चिम की बारिश में महज 1 इंच का अंतर था। इस समय तक पश्चिम में जहां 5 इंच बारिश हो चुकी थी, वहीं पूर्व में 6 इंच बारिश जून में रिकॉर्ड हुई थी। रविवार को भी शहर में मरीमाता क्षेत्र से मालवा मिल क्षेत्र तक बारिश हुई, वहीं LIG से विजय नगर क्षेत्र सूखा रहा। इतना कम पानी गिरा कि आंकड़ा रिकॉर्ड नहीं हुआ।

समय से दो दिन पहले इंदौर आया मानसून, पूरे शहर में एक जैसी बारिश अब तक नहीं

इस बार मानसून समय से दो दिन पहले यानी 18 जून को आ गया था। इसके बाद से ही पूरे शहर में एक जैसी बारिश नहीं हुई है। शहर टुकड़ों में ही भीग रहा है। पिछले साल 15 जून को मानसून आया था। दो से तीन बार मजबूत सिस्टम बने थे। इसके बावजूद पूरे शहर में एक जैसी बारिश हुई थी। पिछले साल जून में औसत के करीब बारिश रिकॉर्ड हुई थी।

मालवा निमाड़ में बारिश के हाल

आगर मालवा, 76, आलीराजपुर 64, बड़वानी 63, बुरहानपुर 114, देवास 174, धार 58, इंदौर 79, झाबुआ 108, खंडवा 86, खरगोन 79, मंदसौर 97, नीमच 97, रतलाम 116, शाजापुर 130, उज्जैन 120 MM बारिश हुई है। इसमें आलीराजपुर, बड़वानी, धार, इंदौर और खरगोन में औसत से कम बारिश हुई है।

प्रदेश के कुछ जिलाें में बारिश के हाल

सागर : 11 जून को मानूसन ने दस्तक दी, उसके बाद कई बार यहां पर झमाझम का दौर चला। इसी कारण अभी तक 171.8 MM औसत वर्षा दर्ज हुई है। एक जून से 28 जून तक केसली केन्द्र पर सर्वाधिक 451.8 MM वर्षा दर्ज हुई है। पिछले साल अब तक 138.95 MM बारिश दर्ज हुई थी।

होशंगाबाद : 11 जून को यहां मानसून ने दस्तक दी थी। इस सीजन अभी तक 261.5 MM बारिश दर्ज हुई है। यह पिछले साल से 92.6 MM ज्यादा है। पिछले साल जून में अब तक 168.9 MM वर्षा दर्ज हुई थी। जिले एक जून से आज तक सर्वाधिक वर्षा 399.8 MM पचमढ़ी में दर्ज हुई।

जबलपुर : 14 जून से आज तक यहां 153 MM बारिश हो चुकी है। पिछले वर्ष इसी अवधि में 24 MM के लगभग बारिश हुई थी। जून में जबलपुर में 102 MM बारिश का औसत आंकड़ा रहा है। जून में कुल 10 दिन बारिश हुई है।

खरगोन : जिले की कुल औसत बारिश 33 इंच है, लेकिन अब तक सिर्फ 87.4 MM यानी साढ़े तीन इंच बारिश हो सकी है। हालांकि, पिछले साल 28 जून तक इससे भी 3 इंच कम आधा इंच बारिश ही हुई थी। जिले में सबसे ज्यादा बारिश खरगोन ब्लॉक में 137.4 MM दर्ज हुई है, वहीं सबसे कम भीकनगांव में 8 MM बारिश ही हो चुकी है।

छिंदवाड़ा : 12 जून को मानसून ने दस्तक दी थी। जिले में अभी तक 248 MM बारिश हुई है। पिछले वर्ष जून माह तक 240 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। यहां पर अभी तक तीन से चार दिन ही अच्छी बारिश हुई है।

खंडवा : अब तक 110 MM यानी करीब साढ़े 4 इंच बारिश हो चुकी है। पिछले साल महज 4 MM बारिश हुई थी, यानी सूखे की स्थिति थी। जिले की कुल औसत बारिश 32 इंच है। जिले में सबसे ज्यादा बारिश 163 MM खालवा ब्लॉक में हुई। इसी तरह खंडवा ब्लॉक में 154, नया हरसूद में 73, पंधाना में 79 और पुनासा में 82 इंच बारिश हुई है।

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