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पाक की कैद से छूटकर 2 साल बाद आया भारत:दमोह से ट्रेन से निकला शख्स पहुंच गया था पाकिस्तान, वहां मजदूरी भी की; अब लौटा तो मां बोली- पहले कमजोर था, तगड़ा हो गया

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दमोह/ संजय मौर्य7 घंटे पहले

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दो साल पहले पंजाब में अमृतसर की सीमा से पाकिस्तान पहुंचा दमोह के नाेहटा थाना के ग्राम शीशपुर पटी का मानसिक विक्षिप्त युवक बारेलाल आदिवासी (32) आखिकार भारत वापस लौट आया है। वह 4 साल से लापता था। 2019 में उसके पाकिस्तान में पकड़े जाने की पुष्टि हुई थी। विदेश मंत्रालय की मदद से जिला प्रशासन ने फोटो के आधार पर उसकी मां, पिता और भाई से पहचान कराई थी।

बारेलाल को वापस लाने के लिए दो साल से चल रही मुहिम अब रंग लाई। 23 जून को पाकिस्तान ने अटारी बाॅर्डर पर अमृतसर में बारेलाल काे भारत को सौंप दिया। दमोह पुलिस और परिजन को अमृतसर रेडक्राॅस सोयायटी ने बारेलाल को सौंपा। इधर, चार साल बाद बारेलाल के गांव लौटने से यहां खुशियां मनाईं जा रही हैं। रविवार को गांव में भीड़ जमा रही।

दरअसल, दो दिन पहले ही नोहटा का आरक्षक आलोक भारद्वाज बारेलाल को पिता सुब्बी आदिवासी और भाई पदम के साथ अमृतसर से लेकर लौटा है। बारेलाल के गांव लौटने से मां लक्ष्मी बाई समेत सभी सदस्य खुश हैं। मां लक्ष्मीबाई का कहना है कि उम्मीद टूट चुकी थी। रात में नींद नहीं आती थी। मजदूरी करके पैसा जोड़ा ताकि उसे खोजने में परेशानी न हो, लेकिन सरकार और पुलिस ने मदद की और बेटे को मिला दिया।

मां का कहना है कि पहले बेटा कमजोर था, लेकिन लौटकर आया है तो मोटा हो गया है। उनकी इच्छा है कि बारेलाल की बीमारी का इलाज सरकार कराए। उसके नाम से कुटीर बने ताकि बेटे का परिवार बसाया जा सके। पिता सुब्बी का कहना है कि पहले बारेलाल घर से जाता था तो आसपास मिल जाता था, लेकिन इस बार ऐसा गया कि लौटकर नहीं आया। उम्मीद नहीं थी कि वह पाकिस्तान चला जाएगा।

दो साल पहले जागी थी उम्मीद
14 नवंबर 2019 को पाकिस्तान के बहवलपुर में दो युवकों की गिरफ्तारी हुई थी। इसमें बारेलाल और प्रशांत बेंधम नाम के दो युवकों के नाम सामने आए। पूछताछ में पता चला कि बारेलाल मध्यप्रदेश दमोह के शीशपुर का निवासी है। इस पर विदेश मंत्रालय ने जानकारी प्रशासन और पुलिस से मांगी। नोहटा पुलिस ने शीशपुर जाकर फोटो के आधार पर बारेलाल के बारे में जानकारी जुटाई। परिजन ने फोटो में दिख रहे युवक की बारेलाल के रूप में पुष्टि की। परिजनों को उम्मीद जागी थी कि बारेलाल जिंदा है। हालांकि उसे पाकिस्तान से वापस लाने में काफी समय लग गया। वीजा बनवाने के अलावा कोरोना संक्रमण के चलते समय पर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।

बारेलाल की मां बेटे का फोटो दिखाते हुए।

बारेलाल की मां बेटे का फोटो दिखाते हुए।

पाकिस्तान जेल में रखा, मजदूरी भी कराई
बारेलाल मानसिक विक्षिप्त है। वह दमोह से पाकिस्तान कैसे पहुंचा। इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं बता पा रहा है। उसे सिर्फ इतना पता है कि वह दमोह से जबलपुर और वहां से ट्रेन में बैठकर गया था। किस ट्रेन में बैठा, कहां उतरा और पाकिस्तान में घुसने के लिए रास्ता कैसे मिला। इसके बारे में वह कुछ भी नहीं बता पा रहा। टूटी-फूटी भाषा में वह सिर्फ इतना बताता है कि पाकिस्तान में उसे जेल में बंद रखा गया। फिर ईंट बनवाने की मजदूरी कराई गई। जब वहां से लौटकर आया तो सामग्री दी गई।

बारेलाल पाकिस्तान से कपड़े, खाने की सामग्री और प्रतिदिन उपयोग की सामग्री लेकर आया है। उसके पास दो पठानी सूट हैं, जिसमें एक वह पहने था। भाई पदम आदिवासी ने बताया कि इससे पहले भी एक बार बारेलाल डिंडाेरी चला गया था। कई वर्षों के बाद आया। उसकी मानसिक स्थिति कक्षा 10वीं में फेल होने के बाद बिगड़ी थी। वह दोस्त भागचंद्र के साथ 2006 में मजदूरी करने दिल्ली चला गया था। वहां से मंदू आदिवासी वापस लेकर आया था।

एसपी डीआर तेनीवार ने बताया कि प्रक्रिया पहले से चल रही थी। विदेश मंत्रालय से पत्र आया था। जिस पर नोहटा थाना के आरक्षक को परिजनों के साथ बारेलाल को लेने भेजा था। परिवार के दो सदस्य आरक्षक के साथ अमृतसर गए थे। जहां से बारेलाल को लेकर लौटे हैं।

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