May 17, 2024 : 11:01 AM
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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र : 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अनुरोध पर टीकाकरण नीति में किया गया बदलाव

केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री ने 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से अनुरोध प्राप्त करने के बाद सात जून को संशोधित टीकाकरण नीति की घोषणा की थी। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि असाधारण और अभूतपूर्व परिस्थिति में कम से कम समय में अधिकतम टीकाकरण हो।

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा दायर कर कहा है कि इस वर्ष के अंत तक 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों (93-94 करोड़) को कोविड-19 का टीका लगाने के लिए 186 से 188 करोड़ खुराक की जरूरत है। लिहाजा अगस्त से दिसंबर के बीच करीब 135 करोड़ खुराक की व्यवस्था की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर के केंद्र सरकार ने कहा कि 31 जुलाई तक कुल 51.6 करोड़ खुराक का खाका पहले से तैयार कर लिया गया है। शेष 135 खुराक के लिए अगस्त से दिसंबर के बीच कोविशील्ड की 50 करोड़ खुराक, कोवैक्सीन की 40 करोड़, बायो ई सब यूनिट वैक्सीन 30 करोड़, जायडस कैडिला डीएनए वैक्सीन पांच करोड़ और स्पूतनिक-वी की 10 करोड़ खुराक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

केंद्र सरकार ने कहा है कि टीका लेने के लिए कोविन एप पर पूर्व पंजीकरण की आवश्यक नहीं है। लोग  टीकाकरण केंद्र जाकर भी सीधा टीका लगवा सकते हैं। सरकार ने बताया है कि 23 मई तक ऐसे करीब 1.5 लाख लोगों को ठीक लगाया जा चुका है जिनके पास पहचान पत्र नहीं थे।

केंद्र ने बताया है कि अब तक 45 से अधिक उम्र के 44.2 फीसदी लोगों और 18-44 आयुवर्ग के बीच के 13 फीसदी लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है। अब तक टीका के योग्य लोगों में से करीब 27.3 फ़ीसदी लोगों को पहली खुराक लग चुकी है। 

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया था कि आखिर केंद्र व राज्य सरकारों के लिए वैक्सीन की अलग-अलग कीमत क्यों है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि क्यों नहीं केंद्र सरकार वैक्सीन खरीद ले और राज्यों में वितरित करें। सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी के कुछ दिनों बाद केंद्र सरकार ने अपनी नीति में बदलाव कर दिया था।

केंद्र सरकार ने अब 75 फ़ीसदी टीका खुद खरीदने का फैसला किया है और केंद्र सरकार ही राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगी और वैक्सीन लोगों को मुफ्त में लगाए जाएंगे। हालांकि 25 फीसदी वैक्सीन निजी अस्पतालों के लिए है।

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में अभी कहां है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है जो यह प्रमाणित करें कि कोविड-19 का खतरा किसी खास आयुवर्ग के लिए हैं। लेकिन बच्चों में कोविड के संक्रमण की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार ने राज्यों को आवश्यक तैयारी करने के लिए कहा है।

केंद्र ने यह भी बताया है कि 12 मई को भारत के औषधि महानियंत्रक ने भारत बायोटेक को दो साल से 18 साल के बीच के बच्चों में ट्रायल की इजाजत दे दी है।

इसके अलावा जाइडस कैडिला, जो डीएनए टीके विकसित कर रहा है, ने 12 से 18 वर्ष की आयु के बीच के लिए अपना क्लीनिकल परीक्षण समाप्त कर लिया है। निकट भविष्य में बच्चों के लिए यह उपलब्ध हो सकता है।

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