May 10, 2024 : 7:49 AM
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पाकिस्तान को फिर झटका:3 साल बाद भी FATF की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा PAK; मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर 1 शर्त पूरी नहीं कर पाया

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पेरिस/इस्लामाबाद8 घंटे पहले

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है। पाकिस्तान ग्लोबल एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग बॉडी के सामने यह साबित करने में नाकाम साबित हुआ कि उसने आतंकवाद के खिलाफ सख्त और प्रमाणिक कार्रवाई की है। पाकिस्तान को कुल 27 मांगें पूरी करनी थीं। इनमें से 3 सबसे ज्यादा अहम थीं। इनमें से एक वह किसी भी रूप में पूरी नहीं कर पाया। दो पर आंशिक कार्रवाई ही हुई। वो 2018 से इस लिस्ट में है।

इस बार क्यों फंसा पाकिस्तान
रिपोर्टस के मुताबिक, पाकिस्तान 1 अहम शर्त पूरी करने में नाकाम रहा। FATF के प्लेनरी सेशन के दौरान ये भी पाया गया कि इमरान सरकार ने उन आतंकी सरगनाओं के खिलाफ जांच और कार्रवाई सही तरीके से नहीं की जिन्हें UN ने आतंकी संगठनों का आका करार दिया है।

FATF ने अपने बयान में कहा- हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान जल्द ही काउंटर टेरेरिस्ट फाइनेंसिंग से जुड़ी बाकी शर्तें पूरी करेगा। इस दौरान पाकिस्तान ने जैश, लश्कर, जेयूडी, अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी भी दी। पाकिस्तान अब तक जमात-उद-दावा के हाफिज सईद और कुछ तालिबानी नेताओं के खिलाफ ही कार्रवाई कर पाया है, लेकिन इसके पुख्ता सबूत देने में नाकाम रहा। जैश-ए-मोहम्द चीफ मसूद अजहर और हक्कानी ग्रुप के नेताओं के खिलाफ तो एक्शन ही नहीं हुआ।

अब ज्यादा निगरानी होगी
जानकारी के मुताबिक- FATF अब पाकिस्तान में जाकर कार्रवाई का जायजा लेगा। मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग से जुड़े दस्तावेज खंगाले जाएंगे और इसकी रिपोर्ट पेरिस भेजी जाएगी। ये भी देखा जाएगा कि जिन संगठनों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं , वे कितने कारगर साबित हुए।

अब ग्रे लिस्ट में रखने की कोई तुक नहीं
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि उनका देश FATF की लगभग तमाम मांगों और शर्तों पर कार्रवाई कर चुका है और अब उसे ग्रे लिस्ट में रखने का कोई औचित्य नहीं है। कुरैशी ने कहा था- हमारे सामने 27 शर्तों की लिस्ट रखी गई थी। हमने उनमें से 26 शर्तों को पूरा कर दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर जो डिमांड्स थीं, उन्हें तकनीकि तौर पर पूरा किया जा चुका है।

भारत पर आरोप
कुरैशी ने कहा था- हमने FATF की हर मांग पर फोकस किया और बहुत मजबूत तरीके से उन्हें पूरा किया। इसके बाद मुल्क को ग्रे लिस्ट में रखने की वाजिब वजह नहीं बनती। भारत इस मंच का इस्तेमाल सियासत के लिए कर रहा है। वो पाकिस्तान के खिलाफ प्रोपेगंडा कर रहा है। दुनिया जानती है कि हमने कितना अच्छा काम किया है। फरवरी में FATF की मीटिंग के पहले भी कुरैशी ने यही बातें कहीं थीं। इसके बावजूद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया था।

FATF की ग्रे और ब्लैक लिस्ट: इसमें आने के नुकसान

  • ग्रे लिस्ट : इस लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। इसकी मॉनिटरिंग की जाती है। कुल मिलाकर आप इसे ‘वॉर्निंग विद मॉनिटरिंग’ कह सकते हैं।
  • नुकसान : ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मॉनेटरी बॉडी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। ट्रेड में भी दिक्कत होती है।
  • ब्लैक लिस्ट : जब सबूतों से ये साबित हो जाता है कि किसी देश से टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है, और वो इन पर लगाम नहीं कस रहा तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है।
  • नुकसान : IMF, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद नहीं देती। मल्टी नेशनल कंपनियां कारोबार समेट लेती हैं। रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।

आतंकियों को मौके का इंतजार

फॉरेन पॉलिसी’ मैगजीन ने अप्रैल में जारी अपनी रिपोर्ट में FATF को एक तरह से वॉर्निंग दी थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई आतंकी संगठनों पर सिर्फ दिखावे की कार्रवाई हुई है। अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया जाता है तो कुछ ही वक्त में ये संगठन फिर खुलेआम हिंसा फैलाएंगे। अभी ये सिर्फ मौके का इंतजार कर रहे हैं। दुनिया पहले भी पाकिस्तान के झांसे में आ चुकी है।’

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