नई दिल्ली15 घंटे पहले
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प्रदेश भाजपा ने 10 करोड़ रुपए की दिल्ली के लोगों के खून -पसीने की कमाई की भारी भरकम रकम से करवाई जा रही मुख्यमंत्री निवास की मरम्मत को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भाजपा विधायकों ने ज्ञापन सौंपा और उनके विरोध जताते हुए उनके आवास के बाहर धरना दिया।
- 10 करोड़ रुपए से हो रही है दिल्ली मुख्यमंत्री निवास की मरम्मत
दिल्ली के लोगों के खून-पसीने की कमाई से 10 करोड़ रुपए की लागत से मुख्यमंत्री निवास की मरम्मत को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भाजपा विधायकों ने ज्ञापन सौंपा और उनके विरोध जताते हुए उनके आवास के बाहर धरना दिया।
भाजपा विधायकों ने गुरुवार को नेता विपक्ष रामवीर सिंह विधूड़ी के साथ विधानसभा में पत्रकार वार्ता कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बदलते चरित्र पर हैरानी व्यक्त करते हुए पूछा है कि आखिर क्या कारण हैं कि केजरीवाल जनता के साथ किए अपने सारे वादे भूल गए हैं।
वीआईपी संस्कृति के खिलाफ नारे लगाते हुए उन्होंने जनता से वादा किया था कि आम आदमी पार्टी जीती तो हम न बड़े बंगले लेंगे और एक कमरे के फ्लेट बनेंगे, न सुरक्षा लेंगे और न ही सरकारी गाडिय़ां लेंगे। केजरीवाल समेत सारे मंत्री तो बंगलों में रह ही रहे हैं, अब केजरीवाल अपने बंगले की मरम्मत के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं।
भाजपा विधायकों ने कहा है कि 2013 में जब केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने मीडिया के सामने यह कहा था कि मैं सरकारी बंगला नहीं लूंगा लेकिन 47 दिनों में ही सरकार गिरने के बाद जब 2015 में दोबारा मुख्यमंत्री बने तो उनके रंग-ढंग बदल गए।
उनके पास अभी 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर जो बंगला है। जिस बंगले में वह रह रहे हैं, उनमें 5 बेड रूम, एक डायनिंग एरिया, गेस्ट रूम, दो ऑफिस, 300 व्यक्तियों की क्षमता वाले दो लाॅन, मीटिंग के लिए एक बड़ा और एक छोटा हाॅल, दो सर्वेंट क्वार्टर और न जाने क्या-क्या है। क्या केजरीवाल इस बंगले से भी संतुष्ट नहीं है कि अब इसकी मरम्मत के नाम पर ही 10 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
दिल्ली अर्बन आर्ट कमिशन को भी धोखे में रखा गया
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, ओमप्रकाश शर्मा, जितेंद्र महाजन, अनिल वाजपेयी, अजय महावर और अभय वर्मा ने यह भी पूछा है कि क्या केजरीवाल के बंगले की मरम्मत के काम के लिए दिल्ली अर्बन आर्ट कमिशन की मंजूरी ले ली गई है। अर्बन आर्ट कमिशन ने 19 नवंबर को इस मरम्मत के काम को एक बड़ा झूठ बताया था।
कमिशन ने इस बंगले की मरम्मत के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली सरकार का पीडब्ल्यूडी विभाग उसे धोखे में रखने की कोशिश कर रहा है। यह भी आश्चर्य की बात है कि दिल्ली अर्बन आर्ट कमिशन ने नवंबर में आपत्ति करते हुए इस बंगले की मरम्मत को मंजूर करने से मना कर दिया है जबकि लोक निर्माण विभाग मंजूरी से पहले ही 17 अक्टूबर को वर्क अवार्ड कर चुका है।
जनता यह जानना चाहती है कि क्या अब दिल्ली अर्बन आर्ट कमिशन की आपत्तियों को दूर कर दिया गया है या फिर उसे अनदेखा करके यह काम किया जा रहा है? अगर ऐसा किया जा रहा है तो यह गैरकानूनी भी होगा। यह मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए क्या उचित होगा?
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