May 15, 2024 : 3:24 AM
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New AC 3 Tier Economy Coach; Flight facilities like low fares, 10 coaches assigned to Prayagraj, Agra and Jhansi divisions; See features in pictures | कम किराए में मिलेगी फ्लाइट जैसी सुविधाएं, प्रयागराज, आगरा और झांसी मंडल को सौंपा गया 10 कोच; तस्वीरों में देखिए खूबियां

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लखनऊ15 मिनट पहले

कॉपी लिंककपूरथाला की रेल कोच फैक्ट्री में यूरोपियन स्टाइल का AC इकॉनमी कोच तैयार हुआ है। - Dainik Bhaskar

कपूरथाला की रेल कोच फैक्ट्री में यूरोपियन स्टाइल का AC इकॉनमी कोच तैयार हुआ है।

जल्द ही आपको AC 3 टियर कोच में फ्लाइट जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी। कपूरथाला की रेल कोच फैक्ट्री में यूरोपियन स्टाइल का AC इकॉनमी कोच तैयार हुआ है। इसे रेल कोच फैक्ट्री के GM रविंद्र गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। पहली खेंप में 15 कोच तैयार किए गए हैं। इनमें 10 कोच प्रयागराज, आगरा और झांसी मंडल के लिए भेजा गया है, जबकि 5 अन्य मुंबई जोन के लिए दिया गया है। आने वाले दिनों में कई अन्य कोच इसी स्टाइल में तैयार किए जाने हैं। इस स्टाइलिश और स्टैंडर्ड सुविधाओं वाले कोच की फोटो सामने आई है। 5 फोटो में देखिए… कितना खास है ये कोच।

इसके एक कोच में 83 सीटें हैं। पहले के कोच में 72 सीट हुआ करती थी। पर सिर्फ सीट ही नही बढ़ी कोच का लुक भी नया है और अंदर की जगह को कम करने की बजाय बढ़ाया गया है। इलेक्ट्रिकल पैनल को ऊपर की जगह नीचे ले जाया गया है। एसी में भी हाई करंट सर्किट को भी बाहर किया गया है। जिससे एसी से आग लगने की संभावना खत्म हो गई है।

इसके एक कोच में 83 सीटें हैं। पहले के कोच में 72 सीट हुआ करती थी। पर सिर्फ सीट ही नही बढ़ी कोच का लुक भी नया है और अंदर की जगह को कम करने की बजाय बढ़ाया गया है। इलेक्ट्रिकल पैनल को ऊपर की जगह नीचे ले जाया गया है। एसी में भी हाई करंट सर्किट को भी बाहर किया गया है। जिससे एसी से आग लगने की संभावना खत्म हो गई है।

यात्रियों को ध्यान में रखकर सभी बर्थ को डेडिकेटेड एसी वेंट्स दिए गए है। ये ट्रेन कोच में वर्ल्ड क्लास कार का अनुभव देती है। साथ ही प्रत्येक बर्थ पर रीडिंग लाइट,यूएसबी चार्जर पोर्ट मोबाइल होल्ड करने के लिए ब्रेकेट के साथ व बोटल होल्डर भी दिया गया है। सीट्स कवर में भी यूरोपियन स्पेसिफिकेशन के मानक व स्टैंडर्ड का पालन करते हुए एचएन 3 फायर रेजिस्टेन्ट व इंटीरियर कलर कोऑर्डिनेटेड डिज़ाइन भी रखा गया है। हर बोगी के पहली सीट को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाते हुए इससे हर वर्ग के लिए सुलभ रखा गया है।

यात्रियों को ध्यान में रखकर सभी बर्थ को डेडिकेटेड एसी वेंट्स दिए गए है। ये ट्रेन कोच में वर्ल्ड क्लास कार का अनुभव देती है। साथ ही प्रत्येक बर्थ पर रीडिंग लाइट,यूएसबी चार्जर पोर्ट मोबाइल होल्ड करने के लिए ब्रेकेट के साथ व बोटल होल्डर भी दिया गया है। सीट्स कवर में भी यूरोपियन स्पेसिफिकेशन के मानक व स्टैंडर्ड का पालन करते हुए एचएन 3 फायर रेजिस्टेन्ट व इंटीरियर कलर कोऑर्डिनेटेड डिज़ाइन भी रखा गया है। हर बोगी के पहली सीट को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाते हुए इससे हर वर्ग के लिए सुलभ रखा गया है।

रेलवे का अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) ने दक्षिण रेलवे और फिर राजस्थान के कोटा रेल मंडल में 160 किमी प्रतिघंटा की गति से मार्च में इसका ट्रायल किया।ट्रायल सफल होने पर रेल संरक्षा आयुक्त ने भी इसके मानकों को परखा। आयुक्त की क्लीयरेंस के बाद ही फैक्ट्री ने पहले रैक का निर्माण कार्य शुरु किया है।

रेलवे का अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) ने दक्षिण रेलवे और फिर राजस्थान के कोटा रेल मंडल में 160 किमी प्रतिघंटा की गति से मार्च में इसका ट्रायल किया।ट्रायल सफल होने पर रेल संरक्षा आयुक्त ने भी इसके मानकों को परखा। आयुक्त की क्लीयरेंस के बाद ही फैक्ट्री ने पहले रैक का निर्माण कार्य शुरु किया है।

कोच में मिडिल और अपर बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी का डिजायन भी बदला गया है। पहले के कोच में सीढ़ी जगह भी घेरती थी और लुक भी बदल जाता था पर अब इसे ऐसे बनाया गया है कि देखने में भी सुंदर लगे और यात्रियों को असुविधा भी न है। एक और पहलु कोच पुराना होने से बीच मे घिसा हुआ एरिया नज़र आता था। पर उसको बदलना भी संभव नही रहता था पर इस कोच में उस कमी को दूर करते हुए बीच की स्ट्रिप को अलग फ्रेम किया गया है।जिसे आसानी से बदला भी जा सकेगा। साथ ही बाथरुम फिटिंग्स भी ऐसी है कि हाथ के प्रयोग को सीमित करते हुए सब कुछ आसानी से पैर से संचालित किया जा सकेगा।

कोच में मिडिल और अपर बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी का डिजायन भी बदला गया है। पहले के कोच में सीढ़ी जगह भी घेरती थी और लुक भी बदल जाता था पर अब इसे ऐसे बनाया गया है कि देखने में भी सुंदर लगे और यात्रियों को असुविधा भी न है। एक और पहलु कोच पुराना होने से बीच मे घिसा हुआ एरिया नज़र आता था। पर उसको बदलना भी संभव नही रहता था पर इस कोच में उस कमी को दूर करते हुए बीच की स्ट्रिप को अलग फ्रेम किया गया है।जिसे आसानी से बदला भी जा सकेगा। साथ ही बाथरुम फिटिंग्स भी ऐसी है कि हाथ के प्रयोग को सीमित करते हुए सब कुछ आसानी से पैर से संचालित किया जा सकेगा।

यह दिलचस्प है कि जहां पहले एक कोच तैयार करने में 2.80 - 2.82 करोड़ खर्च होते थे, वहीं यह एसी इकॉनमी कोच केवल 2.76 करोड़ में तैयार हो गया। कोरोना संकट के दौरान भी हमारे इंजीनियर्स ने इस महीने 110 कोच तैयार करके रिकॉर्ड कायम किया है।

यह दिलचस्प है कि जहां पहले एक कोच तैयार करने में 2.80 – 2.82 करोड़ खर्च होते थे, वहीं यह एसी इकॉनमी कोच केवल 2.76 करोड़ में तैयार हो गया। कोरोना संकट के दौरान भी हमारे इंजीनियर्स ने इस महीने 110 कोच तैयार करके रिकॉर्ड कायम किया है।

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