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एजेंसी, मुंबई
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 18 May 2021 03:03 AM IST
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अपहरण के आरोप में एक वकील की गिरफ्तारी से जुड़े सवालों के जवाब देने में विफल रहने और उसे हथकड़ी लगाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि कितने पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी नहीं है और क्यों। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या वह बहुत बड़ा अपराधी था कि उसे हथकड़ी लगानी पड़ी।
मामले से संबंधित दो याचिकाओं पर जस्टिस एसजे काठावाला और जस्टिस एसपी तावड़े की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। याचिकाएं अपहरण के आरोप में गिरफ्तार वकील विमल झा और वकीलों के एक समूह जस्ट सोसायटी की ओर से दाखिल की गई हैं। याचिकाओं में दावा किया गया है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दैरान सीआरपीसी के मानदंडों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का भी उल्लंघन किया है।
याचिका के अनुसार, झा को 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसे मजिस्ट्रेट के सामने 5 अप्रैल को पेश किया गया। जबकि सीआरपीसी का आदेश है कि 24 घंटों के भीतर ही किसी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए। वहीं अदालत में पेश किए जाने पर उसे हथकड़ी भी पहनाई गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जब तक मजिस्ट्रेट का आदेश प्राप्त नहीं हो जाए, तब तक किसी भी आरोपी को हथकड़ी नहीं लगाई जाए।
विस्तार
अपहरण के आरोप में एक वकील की गिरफ्तारी से जुड़े सवालों के जवाब देने में विफल रहने और उसे हथकड़ी लगाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि कितने पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी नहीं है और क्यों। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या वह बहुत बड़ा अपराधी था कि उसे हथकड़ी लगानी पड़ी।
मामले से संबंधित दो याचिकाओं पर जस्टिस एसजे काठावाला और जस्टिस एसपी तावड़े की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। याचिकाएं अपहरण के आरोप में गिरफ्तार वकील विमल झा और वकीलों के एक समूह जस्ट सोसायटी की ओर से दाखिल की गई हैं। याचिकाओं में दावा किया गया है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दैरान सीआरपीसी के मानदंडों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का भी उल्लंघन किया है।
याचिका के अनुसार, झा को 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसे मजिस्ट्रेट के सामने 5 अप्रैल को पेश किया गया। जबकि सीआरपीसी का आदेश है कि 24 घंटों के भीतर ही किसी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए। वहीं अदालत में पेश किए जाने पर उसे हथकड़ी भी पहनाई गई। जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जब तक मजिस्ट्रेट का आदेश प्राप्त नहीं हो जाए, तब तक किसी भी आरोपी को हथकड़ी नहीं लगाई जाए।
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